६)– छे. : आत्मधर्म कार्यालय, सोनगढ (सौराष्ट्र)
जेन देखतां ज मुमुक्षुनुं चित्त प्रसन्न थई जाय छे. अहा, पोताना आंगणे
जिनवाणी देखीने कोने प्रसन्नता न थाय? तमारा मित्रोने पण जरूर ते
पहोंचाडीने तेने हितमार्गनी प्रेरणा आपो.
पुष्टि करवी, साधर्मीनुं वात्सल्य वधारवुं, देव–गुरु–धर्म–शास्त्रनी सेवा करीने
तेनो महिमा प्रसिद्ध करवो, बाळकोमां उत्तम धर्मसंस्कार रेडवा–ते आ पत्रिकानो
उद्देश छे. साधर्मीओना हार्दिक सहकारने लीधे आ पत्रिका गौरवशील छे. आ
पत्रिकामां जिनशास्त्रानुसार पू. श्री कानजीस्वामीनां प्रवचनो, तत्त्वचर्चाओ,
शास्त्रनी अवनवी वातो, तीर्थोनो महिमा, धर्मप्रभावनाना समाचार,
वैराग्यप्रेरक विशेष लेख–भजन तथा शंकासमाधान अने बालविभाग
आपवामां आवे छे. एनुं संपादन सपूर्ण मध्यस्थताथी ने सम्यक्भावथी थाय
छे. तेनी उदार अने गंभीर संपादन शैलीथी सर्वे साधर्मीजनो प्रसन्न छे.
ते आपनी समक्ष ज छे. अहो! आ तो हुं मारुं परम सौभाग्य समजुंं छे के
भगवान महावीरना अपूर्व उपकारने प्रसिद्ध करवा माटे मारा जीवनमां मने
आ अभूतपूर्व सुअवसर प्राप्त थयो छे. प्रभु महावीरे बतावेलो स्वानुभूतिनो
मार्ग भव्यजीवोमां प्रसिद्ध थाओ–एवी मारी भावना छे.