Atmadharma magazine - Ank 379
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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: ४२ : आत्मधर्म : वैशाख : २५०१
जाहेर करवामां आव्युं हतुं. समाज तरफथी विद्वानोवडे गुरुदेव प्रत्ये श्रद्धांजलि अर्पण
करवामां आवी हती; अमदावादमां जन्मजयंति निमित्ते पोतानो हर्ष व्यक्त करतां
मुमुक्षु मंडळना प्रमुखश्री बालचंदभाईए कह्युं के–
“महावीरभगवानना वीतरागी शासननुं धर्मचक्र आजे पण चाली रह्युं छे, ने
हे गुरुदेव! आपना प्रतापे अमने तेनी प्राप्ति थई छे. आपना आ अपूर्व उपकारने कई
रीते व्यक्त करीए? भगवान महावीरनो अढीहजारवर्षीय निर्वाणमहोत्सव, अने तेनी
साथे आपनी ८६ मी जन्मजयंती आजे अमारा आंगणे उजवाय छे ते अमारा महा
भाग्य छे, ने अमे सौ आपने हार्दिक अभिवंदन करीए छीए.”
बपोरे तथा सांजे पण भक्ति–भजनना सुंदर कार्यक्रमो रजु थया हता.
–आम आनंदउल्लासपूर्वक अमदावादमां गुरुदेवनी ८६ मी जन्मजयंतीनो
उत्सव उजवायो हतो. आ प्रसंगे घाटकोपरथी आपणी भजनमंडळी पण पोतानो
आनंद व्यक्त करवा आवी हती, ने सुंदर कार्यक्रमो रजु कर्या हता, तेमां वैशाख सुद
एकमे पांच हजार माणसोनी जनमेदनी समक्ष गुरुदेवना जीवन प्रसंगो अने तेमां
रहेलो आत्मार्थनो रणकार सुंदर नाट्यद्वारा रजु कर्यो हतो, जे सांभळीने जनता
मुग्ध बनी गई हती. बहारगामथी अभिवंदन अने अभिनन्दनना घणा
सन्देशाओ आव्या हता.
बीजे दिवस (वैशाखसुद त्रीजे) सवारमां गुरुदेवे अमदावादथी लखतर थईने
आत्मधर्मना आ वैशाख मासना अंकमां वधु पानां
छापवा माटे २०१) प्राणलाल परसोत्तमदास जैन
मुंबई; २०१) अमृतलाल सेजपाल जैन मुंबई; तथा
२०१) विजयाबेन मणिलाल डगली वींछीया तरफथी
आव्या छे; ते बदल धन्यवाद.