सर्वे अरिहंतोनी साक्षी आपे छे–
कटिबद्ध थयो छुं. जुओ, मुनिराजने अशुभराग तो नथी, ने शुभराग छे तेने
पण प्रमादचोर समजीने तेनो नाश करवा माटे, शुद्धोपयोगमां प्रयत्नशील छे.
सम्यग्दर्शन अने चारित्रदशा उपरांत शुद्धोपयोगनी पूर्णतावडे वीतरागतानी ने
केवळज्ञाननी भावना भावे छे. समस्त मोहना क्षयवडे मोक्ष पमाय छे, कषायनो
कोई कण राखीने मोक्ष पमातो नथी.
स्वसंवेदनज्ञानमां समाई गयो छे. अहो, स्वसंवेदनज्ञानमां निर्णयनुं केटलुं जोर
छे! ते बाह्यद्रष्टिथी ख्यालमां आवे तेवुं नथी.
नाश करीने मोक्ष पाम्या छे, ने आवो ज उपदेश तेमणे कर्यो छे.–मोक्ष माटे आ
ज एक मार्ग छे, बीजो मार्ग नथी.–आवा मार्गनो स्वानुभूतिना बळे निश्चय
करीने हुं ते मार्गे जाउं छुं.–अहो, ते तीर्थंकरोने अने तेमना मार्गने नमस्कार हो.