Atmadharma magazine - Ank 379
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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: वैशाख : २५०१ आत्मधर्म : ४९ :
बेंगलोर–प्रतिष्ठा......बाहुबली–यात्रा *
बेंगलोर शहेरमां चैत्र सुद १३ ना मंगल दिवसे
धामधूमथी महावीरभगवाननो जन्मोत्सव उजवायो, तथा
मनोहर जिनमंदिरमां अने समवसरण मंदिरमां
जिनेन्द्रभगवंतोनी मंगल प्रतिष्ठा थई, हिंदी–गुजराती
भाषा समजवानी मुश्केली छतां दक्षिणप्रांतना
जिज्ञासुओए घणा ज प्रेमथी उत्सवमां भाग लीधो, ने
प्रभुना पंचकल्याणक देखीने मुग्ध बन्या.
त्यारबाद संघसहित गुरुदेवे श्रवणबेलगोलामां
ध्यानस्थ बाहुबली भगवाननी यात्रा करी. अहो,
वीतरागध्यानमां स्थित मुनिराज! जाणे भक्तोना शिर
पर हाथ फेलावीने मंगल आशीर्वाद दई रह्या छे.
मुनिराजनी अडग आत्मसाधना देखीने मुमुक्षुने पण
आत्माने साधवानी प्रेरणा जागे छे. अहो प्रभो! हजार
वर्षथी करोडो भव्यजीवोए आपनी परम शांत
वैराग्यमुद्रा देखीने वीतरागतानी तथा मोक्षमार्गनी
प्रेरणा मेळवी छे. आप विश्वनी वीतरागी अजायबी
छो.
साधक दशा केवी अद्भुत होय छे!–ते जोवुं होय तो जोई ल्यो बाहुबलीने.
साधक संसारथी केवो अलिप्त होय छे! ते जोवुं होय तो जोई ल्यो बाहुबलीने.
चैतन्यपदमां केवी शांति भरी छे! ते जोवुं होय तो जोई ल्यो बाहुबलीने.
साधको केवा शूरवीर होय छे!–ते जोवुं होय तो जोई ल्यो बाहुबलीने.
(भगवान बाहुबलीनी आ प्रतिमानी प्रतिष्ठाने थोडा वर्ष बाद
एकहजार वर्ष पूरा थशे.)
धन्य बाहुबली आतमहितमें छोड दिया परिवार...कि तुमने छोडा सब संसार.
धन छोड वैभव सब छोडा जाना जगत असार...कि तुमने जाना जगत असार.
बाहुबलीप्रभुनी यात्रा बाद पू. गुरुदेव मुंबई पधार्या हता. त्यां आठ
दिवसनो कार्यक्रम हतो; त्यारबाद गुरुदेव अमदावाद पधारतां भव्य स्वागत
थयुं हतुं.