Atmadharma magazine - Ank 379
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 7 of 53

background image
: ४ : आत्मधर्म : वैशाख : २५०१
६६. अहा, धर्मने माटे पोतानो आत्मा ज आधार छे. अमारो धर्म
कांई संयोगना आधारे आव्यो नथी, आत्माना ज आधारे आव्यो
छे, एटले तेने हणवानी कोई संयोगनी ताकात नथी.
६७. भाई, आधार थवानी शक्ति तारा आत्मामां ज छे, तेनो ज तुं
आधार ले. अंदर शुभरागनो विकल्प ऊठे ते पण तारा धर्मनो
आधार नथी.
६८. शुं सिद्धभगवान लोकाकाशना आधारे रह्या छे?–ना; ते तो
पोताना आत्म–प्रदेशोना आधारे ज रह्या छे. ए रीते
सिद्धभगवंतोनी जेम सम्यग्दर्शनादि बधी पर्यायो आत्माना ज
आधारे छे.
६९. अहा, आवी छ कारकनी स्वाधीनता जाणे तो आत्मामां केटलुं
समाधान! केटली शांति! केटलो स्वाश्रय! एने आकुळता–कलेश के
व्यग्रतानी बुद्धि रहे नहि.
७०. आत्मानो चेतनस्वभाव पोतानी निर्मळतानो आधार छे पण
मलिनतानो आधार ते नथी. अरे, राग थाय तेनो आधार पण आत्मा
नथी. आत्मा सम्यग्दर्शन–ज्ञान–आनंद वगेरेनो ज आधार छे.
७१. हे जीव! तारा धर्मनो आधार तारामां ज छे–एम स्वशक्तिने
ओळखीने तुं तारा आत्मानुं ज अवलंबन ले ने बीजाना
अवलंबननी बुद्धि छोड,
७२. ए रीते छ कारकथी स्वाधीन एवी चैतन्यप्रभुता बतावी. आ
चैतन्यचक्रवर्ती पोताना स्वाश्रित छ कारकोथी शोभी रह्यो छे,–एवुं
स्वाश्रितभावरूप परिणमन–ए ज भगवान महावीरनुं धर्मचक्र छे.
७३. आवी अनंतशक्तिरूप स्वभाव ते ज आत्मानुं स्व छे, ने तेनो ज
आत्मा स्वामी छे. ए सिवाय बीजुं कांई आत्मानुं स्व नथी, ने
आत्मा तेनो स्वामी नथी.
७४. आम जेणे पोताना स्वभाव साथे स्व–स्वामीपणुं जाण्युं, तेणे
परिणतिने स्व साथे जोडीने विकार साथे तोडी.–एनुं नाम
धर्मचक्रनुं परिणमन, ने ए ज मोक्षमार्ग!
७५. आ स्वभावशक्तिओ जाणीने, परथी विभक्तपणुं अने निजस्वभावनुं
स्वामीपणुं प्रगट करीने हे जीव! तुं स्वानुभव कर. ते स्वानुभवना