योजना छे–ते संबंधी विशेष माहिती नथी, परंतु एटलुं तो नक्की छे के महिलाओनी
उन्नति माटे ज आ योजना थई छे; एटले आ ‘महिलावर्ष’ मां तमारी उन्नति माटे
तमारे कया प्रकारे भाग लेवो जोईए! ते विचारीए.
शिखरे पहोंच्या होय! तेमनो आदर्श लईने तमे पण आ महिलावर्षमां तेमना जेवा
थवानो सज्जड प्रयत्न करो....ने ए रीते महिलावर्षनी उजवणीनो साचो लाभ ल्यो.
महिला श्रीमती ईन्दिराबेन गांधी, –वडाप्रधाननी तेमनी पदवी पण मुमुक्षुबेनने
आकर्षी नथी शकती. मुमुक्षुनुं आकर्षण तो क््यांक बीजे ज छे: चैतन्यनी अनुभूतिनी ज
तेने आकांक्षा छे. अने एवी आत्मअनुभूतिनी सफळताने वरेला सर्वोत्कृष्ट महिलारत्न
अत्यारे भारतमां पूज्य श्री चंपाबेन छे. एमने ओळखी, एमनी आत्मअनुभूतिने
ओळखी, अने ए अनुभूतिनो उपाय जाणीने, आ वर्षमां ज सज्जड प्रयत्न वडे तेवी
अनुभूति प्राप्त करी लेवी–ए ज महिलावर्षनी सर्वोत्तम उजवणी छे, एमां ज महान
लाभ छे.
वीरनिर्वाणना आ वर्षमां एवा आनंदथी महिलावर्ष ऊजवी ल्यो के तमारी आत्मिक
उन्नत्ति देखीने दुनिया दंग बनी जाय! ने वीरशासन शोभी ऊठे. बीजे क््यांय रोकाशो
नहि; तमारा आ वर्षने तमारी आत्मिक–उन्नत्तिनुं ज वर्ष बनावी देजो.