Atmadharma magazine - Ank 380
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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: ६ : आत्मधर्म : जेठ : २५०१
• महिला–वर्षनी उजवणीमां मुमुक्षुबेनोनुं कर्तव्य •
मुमुक्षु बहेनो, घणुं करीने तमे जाणता हशो के अत्यारे आखी दुनियामां आ वर्ष
‘महिलावर्ष’ तरीके ऊजवाई रह्युं छे. जो के तमारुं आ वर्ष कोण उजवे छे ने तेनी शी
योजना छे–ते संबंधी विशेष माहिती नथी, परंतु एटलुं तो नक्की छे के महिलाओनी
उन्नति माटे ज आ योजना थई छे; एटले आ ‘महिलावर्ष’ मां तमारी उन्नति माटे
तमारे कया प्रकारे भाग लेवो जोईए! ते विचारीए.
महिलावर्षमां भाग लईने आत्मानी उन्नति करवा माटे, प्रथम तो तमारे एवा
सर्वोत्कृष्ट महिलारत्नने शोधी काढवा जोईए के जेओ आत्मिकविकासवडे उन्नत्तिना
शिखरे पहोंच्या होय! तेमनो आदर्श लईने तमे पण आ महिलावर्षमां तेमना जेवा
थवानो सज्जड प्रयत्न करो....ने ए रीते महिलावर्षनी उजवणीनो साचो लाभ ल्यो.
आ विभागमां रस लेनारा आपणा बेनो ए मुमुक्षु बहेनो छे; एटले एमने
कोई राजकिय आकांक्षाओ तो होती नथी. राजकीयद्रष्टिए सर्वोच्च शिखरे पहोंचेला
महिला श्रीमती ईन्दिराबेन गांधी, –वडाप्रधाननी तेमनी पदवी पण मुमुक्षुबेनने
आकर्षी नथी शकती. मुमुक्षुनुं आकर्षण तो क््यांक बीजे ज छे: चैतन्यनी अनुभूतिनी ज
तेने आकांक्षा छे. अने एवी आत्मअनुभूतिनी सफळताने वरेला सर्वोत्कृष्ट महिलारत्न
अत्यारे भारतमां पूज्य श्री चंपाबेन छे. एमने ओळखी, एमनी आत्मअनुभूतिने
ओळखी, अने ए अनुभूतिनो उपाय जाणीने, आ वर्षमां ज सज्जड प्रयत्न वडे तेवी
अनुभूति प्राप्त करी लेवी–ए ज महिलावर्षनी सर्वोत्तम उजवणी छे, एमां ज महान
लाभ छे.
[एककोर महावीरप्रभुना मोक्षना अढीहजारवर्षीय महोत्सवनुं वर्ष अने
बीजीकोर महिलाओना उत्कर्षनुं वर्ष? –वाह, केवो सुमेळ छे!! ] मुमुक्षुबहेनो, जागो!
आ वर्ष तमारी उन्नत्तिनुं वर्ष छे! सर्वोत्कृष्ट महिलारत्न तमने मळी चुकया छे, तो
वीरनिर्वाणना आ वर्षमां एवा आनंदथी महिलावर्ष ऊजवी ल्यो के तमारी आत्मिक
उन्नत्ति देखीने दुनिया दंग बनी जाय! ने वीरशासन शोभी ऊठे. बीजे क््यांय रोकाशो
नहि; तमारा आ वर्षने तमारी आत्मिक–उन्नत्तिनुं ज वर्ष बनावी देजो.
बहेनो! आपणे महिलावर्षने बदले एक ‘महिला सप्ताह’ उजवीए. क््यारे
उजवीशुं? वात्सल्यवंती श्रावण सुद पूनमथी शरू करीने श्रावण मासना त्रीजा
सप्ताहने ‘मुमुक्षु–महिला सप्ताह’ तरीके उजवीए, –केमके भारतना सर्वोत्कृष्ट