Atmadharma magazine - Ank 381
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 36 of 53

background image
: अषाढ : २५०१ आत्मधर्म : ३३ :
* वीरनिर्वाणमहोत्सवमां वीरबाळकोनो उत्साह *
अढीहजार वीरनिर्वाणमहोत्सवमां वीर बाळको तरफथी जे अढीहजार पैसा
(पच्चीस रूपिया) बालविभागमां आवेल छे तेनी यादी–
६१३ वसंतराय अमीचंद जैन ६२२ मोहनलालजी जैन शहादरा दिल्ही
६१४ सरोजबेन प्रतापराय जैन नागपुर ६२३ जुगमंदरदासजी जैन शहादरा दिल्ही
६१५ सुनिल–समीर–तुषारकांत जैन केनेडा ६२४ दयाचंदजी जैन शहादरा दिल्ही
६१६ हर्षदराय मुळचंद शाह कलकत्ता ६२५ राजकुमार जैन शहादरा दिल्ही
६१७ कंकुबेन जैन सोनगढ ६२६ सोहनलालजी जैन शहादरा दिल्ही
६१८ वसंत गोकळदास जैन महुवा ६२७ केवळरावजी जैन शहादरा दिल्ही
६१९ सोनलबेन अनंतराय जैन जलगांव ६२८ चंदुलाल जैन शहादरा दिल्ही
६२० भरतचंद जैन शहादरा दिल्ही ६२९ विपुल प्रकाशचंद्र जैन दिल्ही
६२१ अत्तरसेनजी जैन शहादरा दिल्ही
(आत्मधर्म–प्रचार खाते आवेल रकमो)
५१/– खीमचंद छोटालाल जोबालीया सोनगढ २१/– मरघाबेन मणिलाल शाह सोनगढ
२०/– धनजीभाई लहेरचंदजैन
विंछीया ११/– महालक्ष्मीबेन जैन अमदावाद
११/– कांताबेन दवे सोनगढ ११/– छबलबेन गांधी सोनगढ
[ता. ५–७–७५ सुधी]
आत्मधर्म गतांक नं. ३८० मां नीचे मुजब सुधारशो–
* (पानुं १८ लाईन १२) : ‘आंखथी हुं ज देखुं छुं’–तेने बदले ‘आंखथी ज हुं देखुं
छुं’–(एम अज्ञानी भ्रान्ति करे छे.)
* (पानुं ३१ लाईन १४) : ‘सर्वथा अनेकान्तवादनो आश्रय लेवाने कारणे’–तेने
बदले ‘सर्वथा एकान्तवादनो........... ’
• सि द्धा न्त •
आ एक सिद्धांत छे के स्वभावने साधनारा परिणाम स्वभावरूप होय,
विभावरूप न होय. विरुद्ध जातना भावोमां साधक–साध्यपणुं होय नहि. मोक्षमार्ग
आत्माना स्वभाव–आश्रित छे, रागने आश्रित नथी. आत्मानो साधक, आत्मारूप
थईने आत्माने साधे छे, रागरूप थईने आत्मा नथी सधातो.