शंका:–द्रव्य पोतानी पर्यायने करतुं नथी एटले शुं?
समाधान:–जो के पर्यायनो कर्ता कोई अन्य नथी पण स्वद्रव्य पोते ज परिणमतुं थकुं
पर्यायस्वरूप एक ज वस्तु छे, तेमां आ कर्ता ने आ कार्य–एवा भेद शा
माटे पाडवा? ज्यां द्रव्य ने पर्याय अभेदपणे एकस्वरूप छे, त्यां द्रव्य
पर्यायने करे छे–एवो भेद रहेतो नथी. आवी अभेदद्रष्टिथी द्रव्य–पर्याय
वच्चे कर्ता–कर्मनो भेद पण नथी. बंनेनुं अनन्यपणुं ज छे.
ज्यम जगतमां कटकादि पर्यायोथी कनक अनन्य छे.
जीव–अजीवना परिणाम जे दर्शाविया सूत्रो महीं,
ते जीव अगर अजीव जाण अनन्य ते परिणामथी.’
उत्पाद–व्यय–ध्रौव्यमां एक चैतन्यभाव ज प्रकाशे छे–एवा चैतन्यभावरूपे ज धर्मी
पोताने सतत अनुभवे छे.–आवा सर्वोपरि तत्त्वनी अनुभूति ए ज साध्यनी सिद्धि छे.
–‘
प्रश्न:–धन्य कोण छे?
उत्तर:–सर्वज्ञस्वभावी आत्माने जेणे जाण्यो छे एवा ज्ञानी भगवंत धन्य छे.