: ४० : आत्मधर्म : श्रावण : २५०१
• सोनगढमां शिक्षणवर्ग आनंदमय वातावरण वच्चे चाली रह्यो छे. एककोर
धोधमार जलवर्षा पृथ्वीने ठंडक आपे छे, तो बीजीकोर धोधमार धर्मवर्षा
भव्यजीवोने चैतन्यनी ठंडक आपीने आनंदित करे छे. गुरुदेवना प्रवचनमां
शुद्धात्मतत्त्वनुं घोलन चाली रह्युं छे.
• जयपुर:– पं. टोडरमल स्मारकभवन, बापुनगरमां जैन पाठशाळा चालु थई छे.
भारतना मोटा के नाना जे कोई पण गाममां जैनो वसता होय त्यां पाठशाळा
जरूर चालती होवी जोईए. तमारा बाळकोने धर्मना साचा संस्कार आपवा
होय तो पाठशाळा चालु करो. भले एकबे बाळक भणवा आवे तोपण, स्कुलना
शिक्षको करतांय वधु पगार आपीने पण, पाठशाळा जरूर चालु करो. मकान
वगेरेमां जैनसमाज लाखो रूपिया वापरे छे, तेना करतां वधु जरूर
जैनपाठशाळाओ चालु करवानी छे.
• राजकोट:– वैशाख मासमां पू. गुरुदेव राजकोट पधार्या त्यारे वैशाख वद
एकमना रोज (१) कुमारी ज्योत्सनाबेन (पारसराम डोसाभाई शाहना
सुपुत्री उ. व. ३१) तथा (र) कुमारी हेमलताबेन (मोहनलाल डोसाभाई
शाहना सुपुत्री उ. व. ३४) ए बंने जिज्ञासु बहेनोए आजीवन
ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा अंगीकार करी छे. बंने बहनो बालब्रह्मचारिणी छे. –धन्यवाद!
• जमशेदपुरथी एक नानो जिज्ञासु बाळक भांगीतूटी भाषामां गुरुदेवना नामथी
प्रमोदपूर्वक लखे छे के–“हुं एक जैन बालक छुं. मने गुजराती लखता तो नहीं
आवतूं पण पठनता आवडे छे. हुं नास्तिक हतो पण छेल्ला १५ दिवस पहेलांं
में मारी फैयबानी त्यां तमारू आत्मधर्म वांच्यू तो मने घणो आनंद थयो.
गुरुदेवनी मारी विनती छे के मने धर्मनी शिक्षा आपे अने आत्माने शांति
थाय. मैं त्यारपछी रत्नसंग्रह भाग १ लो तथा बीजो वांच्यो. पूजा करवाना
विधि पण बतावजो. (गुजराती भाषा बराबर नहि जाणनारा नाना बाळको
पण केवा जाग्या छे? ने केवी होंशथी धर्मना संस्कार मेळवी रह्या छे–तेनो आ
एक नमुनो छे. आवा तो साडात्रणहजार बाळको बालविभागमां रस ल्ये छे.–
हवे कोण कही शकशे के आजना बाळको–युवानो धर्ममां रस नथी लेता? बाळको
जाग्या छे, युवानो जाग्या छे; तेमने वांचवामां रस पडे एवुं साहित्य ढगलाबंध
आपो, ने नवा नवा कार्यक्रमोमां तेमनी शक्तिनो उपयोग करो.