: श्रावण : २५०१ आत्मधर्म : ४१ :
सोनगढ: मंगल उत्सव ने मंगल प्रवचनोनी प्रसादी
(स्वानुभूतिनो महिमा)
श्रावण वद बीज: आनंदनी बीज....स्वानुभूतिनी बीज! आजे सोनगढमां
तो जाणे तीर्थाधिनाथनुं समवसरण आव्युं होय–एवा हर्षभर्या कोलाहल वच्चे धर्मरत्न
पू. बेनश्रीनो मंगल जन्मोत्सव उजवायो. सवारथी ज गुरुदेव कोई गंभीर
आत्मचिंतनना महिमामां देखाता हता. स्वानुभूतिना शांतरसमां डुबेला पू. बेनश्री,
आ हर्षना कोलाहलथी पण अलिप्त एवी चेतना वडे अभिनंदित हता, तेमनी चेतना
ज आनंदथी तेमने वधावती हती......ज्यारे हजारो भक्तो हीरा–मोती–पुष्पोथी वधावी
रह्या हता. प्रभु वीरनाथनी मंगल छायामां वीरपुत्रीना बहुमाननो प्रसंग घणो भव्य
हतो. कुंदकुंदप्रभुजी पण जाणे स्वर्गमांथी पुनःपधार्या होय–एम सन्मुख ज बिराजी रह्या
हता. अने पू. बेनश्री पधारतां परमागमना सारभूत स्वानुभूतिए ज जाणे
परमागममंदिरमां प्रवेश कर्यो, ते देखीने परमागमो पण प्रसन्नताथी खीली ऊठया
हता...गुरुदेवे प्रशांत वातावरण वच्चे जिनवाणीनुं दोहन करीने शांतरसनी वर्षा शरू
करी...पू. बेनश्रीना अंतरमां वहेतुं स्वानुभूतिनुं झरणुं ज जाणे उल्लसी–उल्लसीने
भव्यजीवोने आनंदरस पीवडावतुं होय! –एवा भावो श्रीगुरुना प्रवचनमां ऊछळता
हता. ज्ञानीनो अद्भुत महिमा देखतां केवळज्ञान वगेरे कल्याणकोना उत्सवो केवा
अद्भुत आश्चर्यकारी हशे! तेनी झांखी थती हती. –आवा उत्तम मंगल प्रसंगो अने
मंगलभावो आ कळिकाळमां पण आपणने प्राप्त थई रह्या छे–ते पू. गुरुदेवनो प्रताप
अने पू. माताजीनो उपकार छे...तेओश्रीने नमस्कार हो.
श्रावणवद बीजना मंगल प्रारंभमां ज गुरुदेवे बेनश्रीनी स्वानुभूतिनो महिमा
प्रसिद्ध कर्यो हतो. तेओश्री सं. १९८९ मां क्षायिकभाव जेवी जोरदार स्वानुभूति पाम्या
छे, ने १९९३ मां पूर्वना चार भवनुं (जेमां पूर्वे सीमंधर परमात्मा पासे हता–ते
सहित) जातिस्मरणज्ञान थयुं छे. तेमां एम आव्युं छे के पूर्वे गुरुदेव राजकुमार हता ने
चंपाबेन–शांताबेन ए बंने बेनोना जीव तेमना मित्रो, (शेठियाना पुत्रो) हता.
जातिस्मरणनी निर्मळतामां तेमने घणुं आव्युं छे. गुरुदेवना आत्मा भविष्यमां तीर्थंकर
थनार छे–एम प्रभुना श्रीमुखे तेमणे सांभळ्युं छे. ‘आ राजकुमार तीर्थंकर थवाना छे,
ने आ बंने (बंने बेनो) ना जीवो तेमना गणधरो थवाना छे. ’ आ उपरांत बीजा
पांचभवोनुं पण केटलुंक स्मरण हमणां आवेलुं छे. तीर्थंकर भगवाननी सीधी वाणी
अमे सांभळी छे, ने कुंदकुंदाचार्यदेव त्यां पधार्या त्यारे समवसरणमां अमे त्यां हाजर
हता....आ बधुं प्रमाणसिद्ध छे.