Atmadharma magazine - Ank 382
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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पूज्य बहेनश्रीए स्वानुभूतियुक्त जातिस्मरणज्ञान द्वारा
आपणने पूज्य गुरुदेवनुं तीर्थंकरद्रव्यत्व ओळखावी, तेमनी चमत्कारिक
विशेषताओने प्रकाशमां लावीने तेमनो लोकोत्तर महिमा प्रसिद्ध कर्यो छे;
आपणामां तेमना प्रत्ये अगाध श्रद्धा, भक्ति तथा बहुमान प्रज्वलित
कर्यां छे. अहो! सनातन जिनेन्द्रमार्गनी सत्यताना साक्षीभूत सातिशय
विमळ ज्ञान द्वारा जिनशासननी आ रीते अनुपम प्रभावना करीने पूज्य
बहेनश्रीए आपणा उपर खरेखर असाधारण उपकार कर्यो छे.
आवा अनेकविध उपकारोथी आर्द्र भक्तहृदयो पूज्य बहेनश्री
प्रत्ये भक्तिबहुमान व्यक्त करवा–तेमनी जन्मजयंतीनो सुअवसर
ऊजववा–थनगनी रहे ते स्वाभाविक छे.
अहो! स्वानुभूतिसंपन्न एकभवतारी शके्रन्द्र पण जो ठाठमाठथी
रचेली ‘तांडव लीला’ द्वारा बाळतीर्थंकरनी अति थनगनाटभरी भक्ति
करे छे, तो प्राथमिकभूमिकोन्मुख मुमुक्षुगण जन्मजयंती जेवा मंगळ
अवसरे उपकारीनी भक्ति केम चूके? –‘न हि कृतमुपकारं साधवो
विस्मरन्ति। ’ आवा अवसरे तो भक्त जीवो तन–मन–धनथी
सर्वस्वार्पणभावे थनगनी ऊठे छे. निर्मळ रत्नत्रयना आराधक,
शुद्धात्मानुभूतिसंपन्न उपकारी धर्मात्मानी यथार्थलक्षी विविध भक्तिना
आवा विशेष प्रसंगे भक्तहृदयो आनंदविभोर थई अंतर्बाह्य ऊछळी पडे
तेमां विस्मय शो?
आ मंगळ महोत्सव सकल मुमुक्षुसमाजे सुवर्णपुरीमां निम्न
प्रकारे ऊजव्यो हतो:–
* वात्सल्यपर्व –श्रावणी पूर्णिमा–थी प्रारंभ थता त्रण दिवसना आ
जन्मोत्सवमां, मंगल कामनाना प्रतिकरूपे, ’ श्री पंचपरमेष्ठी–
मंडलविधानपूजा ’ सुरेन्द्रनगरनिवासी श्री जगजीवनदास
चतुरभाई शाहना परिवार तरफथी राखवामां आवी हती.
* उत्सवना त्रणेय दिवस सुवर्णपुरीनुं वायुमंडळ मधुरां गीत–
वादनथी गुंजतुं हतुं. श्री जिनमंदिर, परमागममंदिर,
स्वाध्यायमंदिर तथा ब्रह्मचर्याश्रम उपर उत्सवनी सुशोभार्थ
रचायेली विविधरंगी विद्युज्ज्योतिओ जाणे शुद्धात्मरंगी,
विमलविज्ञानज्योर्तिधरना प्रशमस्यंदी तेजस्वी किरणोनो लाभ
लेवा जगतने बोलावती होय ते रीते अतिशय दीपती हती.
* श्रावण वद बीजना–जन्मजयंतीना–दिवसे वहेला प्रभाते
प्रातःदर्शन समये आंनदभेरी साथे–