Atmadharma magazine - Ank 382
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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“जन्मवधाईना रे के सूर मधुर गाजे साहेलडी,
तेजबाने मंदिरे के चोघडियां वागे साहेलडी;
कुंवरीना दर्शने रे के नरनारी हरखे साहेलडी,
वीरपुरी धाममां रे के कुमकुम वरसे साहेलडी.”
–आवां जन्मवधाईनां विविध सुमधुर गीतोथी तथा जयकारना
मंगल नादोथी ब्रह्मचर्याश्रम आनंदविभोर थई गुंजतो हतो.
* पूज्य गुरुदेवना प्रवचनमां बहेनश्री पधार्यां त्यारे दुंदुंभिवादन
तथा जयकारना उच्च नादोथी तेमनुं स्वागत करवामां आव्युं हतुं.
ते शुभ प्रसंगे जमशेदपुरनिवासी श्री हेमकुंवरबेन कामाणीए
तथा राजकोटनिवासी श्री नानालालभाई जसाणीना परिवारे
परम आदरणीय पूज्य बहेनश्रीना अध्यात्मज्ञानप्रतिभायुक्त
तेजस्वी ललाटमां केसरनुं तिलक करीने, हीरा वगेरे विविध
रत्नोथी वधाववानी विधिथी, पूज्य गुरुदेवना मंगल सान्निध्यमां
विशाळ मुमुक्षुसमुदायनी उपस्थितिमां पू. बहेनश्रीनुं विशिष्ट
बहुमान कर्युं हतुं. आ मनोहारी प्रसंगनुं भक्तिपूर्ण द्रश्य निहाळी
प्रेक्षकोनां हैयां आनंदोल्लासथी नाची उठयां हतां; पूज्य गुरुदेव
पण गद्गद् थई आशिषभरी अमीद्रष्टिथी आ भक्तिद्रश्यने
प्रसन्नतापूर्वक अवलोकी रह्या हतां; मंगल गीतो तथा
हर्षोल्लासभर्या मधुरा नादोथी वायुमंडल गाजी ऊठयुं हतुं;
प्रफुल्लता अने प्रसन्नताथी सर्वनां हैयां आनंदविभोर थई गयां हतां.
* आजना जन्मोत्सवना मंगलप्रसंगे पूज्य गुरुदेवे प्रवचनना
प्रारंभमां ज बहेनश्रीनी पवित्रता, निर्मळ स्वानुभूति अने
जातिस्मरणज्ञानने विशेष प्रकाशित करीने तेमनो महिमा प्रसिद्ध
कर्यो हतो. बहेनश्रीने सं. १९८९ मां स्वानुभूति प्रगट थई हती;
ते वखते तेमने पुरुषार्थनुं घणुं जोर हतुं; सं. १९९३ मां ध्यानमग्न
दशामांथी बहार आवतां तेमने जातिस्मरणज्ञाननी प्रथम स्फुरणा
थई हती; अने त्यार पछी धर्म साथे संबंधवाळी घणी विगतो
जातिस्मरणज्ञानमां खूली हती; –ईत्यादि विषयो पर गुरुदेवे
प्रकाश पाडयो हतो. प्रसन्नचित्ते धीर–गंभीरपणे पंदर मिनिट
सुधी पूज्य गुरुदेवना श्रीमुखेथी वरसेली महिमाद्योतक
अमृतवर्षाथी मंत्रमुग्ध श्रोतासमुदाय खूब आनंदित थई गयो हतो.
* प्रवचन पछी श्री गिरधरलाल नागरदास शाह, श्री बाबुभाई
चुनिलाल महेता, श्री चंपकभाई डगली तथा श्री मणिभाई
मुनईवाळाए पोतपोताना संक्षिप्त वक्तव्य द्वारा पू. बहेनश्रीने
आ शुभ प्रसंगे भावार्द्र श्रद्धांजलि समर्पित करी हती. त्यार पछी
जन्मजयंतीनी खुशालीमां भक्तिपुष्परूपे मुमुक्षुओ द्वारा