: ३० : आत्मधर्म : भादरवो : २५०१
वीतराग–विज्ञान–प्रश्नोत्तर
छहढाळानी चोथी ढाळ उपरनां प्रवचनोमांथी आ
संकलन करवामां आव्युं छे. प्रश्नोत्तररूपे तत्त्वोनुं स्पष्टीकरण
विशेष रसदायक अने सुगम बने छे. वीतराग–विज्ञानना आ
प्रश्नोत्तर दरेक जिज्ञासुने गमशे. (सं.)
१. छढाळाना मंगलाचरणमां कोने
नमस्कार कर्या छे? ७. सम्यग्ज्ञान क्यारे थाय छे ?
वीतराग–विज्ञानने. सम्यग्दर्शननी साथे ज थाय छे.
२. पहेली ढाळमां शुं कह्युं? ८. सम्यक् दर्शन–ज्ञान बंने साथे थवा
छतां ज्ञाननी जुदी आराधना
करवानुं केम कह्युं?
जीव चारगतिमां केवां दुःख भोगवे
छे ते बताव्युं. केमके हजी केवळज्ञानने साधवानुं
बाकी छे–तेथी.
३. बीजीढाळमां शुं कह्युं? ९. दर्शननी आराधना क्यारे पूरी
थाय?
दुःखनां कारणरूप मिथ्यात्वने
छोडवानो उपदेश आप्यो क्षायिकसम्यक्त्व थाय त्यारे.
४. त्रीजीढाळमां शुं कह्युं? १०. ज्ञाननी आराधना क्यारे पूरी थाय?
सम्यक्त्वनो महिमा समजावीने
तेनी आराधना करवानुं कह्युं. केवळज्ञान थाय त्यारे.
५. चोथीढाळमां शेनो उपदेश छे? ११. चोथागुणस्थाने क्षायिकसम्यक्त्व
थया पछी उपरना गुणस्थाने तेनी
शुद्धता वधे?
सम्यग्ज्ञाननी आराधना तथा
देशव्रतनो उपदेश छे. ना; क्षायिकभावमां वृद्धि के हानि
होती नथी. ६. सम्यग्ज्ञान केवुं छे? १२. मोक्षमार्गमां साचुं ज्ञान कोने
कहेवामां आवे छे?
स्व–परने प्रकाशवा माटे
सूर्यसमान छे.