: भादरवो : २५०१ आत्मधर्म : ३१ :
जे स्व–परने जाणे ने मोक्षने साधे
तेने. ना, वस्तुना धर्मो परनी अपेक्षा राखता नथी.
१३. सम्यग्दर्शन द्रव्य–गुण–पर्यायमां
भेद पाडे छे? २२. एक वस्तुनो धर्म बीजी वस्तुमां जाय खरो?
ना; ते एक अभेद आत्माने ज
स्वीकारे छे. ना; वस्तुना धर्मो वस्तुमां ज तन्मय रहे छे.
१४. दुनियामां सम्यग्दर्शन–ज्ञान–
चारित्र क्यां छे? २३. चारित्र वगर मोक्ष होय?
एकमात्र सर्वज्ञ वीतराग
जिनदेवना मार्गमां ज छे. ना.
१५. जिनमार्ग सिवाय बीजा कोई
मार्गमां मोक्षमार्ग होय छे? २४. सम्यग्दर्शन–ज्ञान वगर चारित्र होय?
ना. ना
१६. अनेकांतमय मूर्ति सदा प्रकाशमान
रहो–एम क्यां कह्युं छे? २५. सम्यग्ज्ञान कयारे थाय?
समयसारना बीजा कळशमां. सम्यग्दर्शननी साथे ज.
१७. पदार्थना धर्म कया छे? २६. सम्यक्श्रद्धा अने सम्यग्ज्ञाननी
आराधनामां शुं विशेषता छे?
वस्तुनां गुण–पर्यायो ते ज तेनां
धर्मो छे. बंने आराधना एकसाथे शरू थाय छे, पण बंनेनी पूर्णता
एकसाथे थती नथी, क्रम पडे छे.
१८. आत्मवस्तुमां शेनुं सामर्थ्य छे? २८. रागने कोण जाणे छे?
केवळज्ञान अने सिद्धपदनुं. रागथी जुदुं एवुं ज्ञान ज रागने
जाणे छे.
१९. मोक्षने पामवा माटे कोनुं सेवन
करवुं? २९. ज्ञान अने राग केवा छे?
सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्रनुं. बंनेनो स्वभाव तद्न जुदो छे.
रागमां चेतकपणुं नथी; ज्ञान तो
स्व–परनुं चेतक छे.
२०. शुभरागने के पुण्यने सेववानुं कां
न कह्युं? ३०. रागने जाणतां ज्ञान तेमां तन्मय थाय छे?
केमके ते मोक्षनुं कारण नथी. ना; रागने जाणनारुं ज्ञान
तेनाथी जुदुं ज रहे छे.
२१. एक वस्तुनो कोई धर्म बीजी
वस्तुने लीधे होय खरो?