जेमना निर्वाणगमनना अढीहजारवर्षनो मंगलउत्सव एक
वर्षथी आपणे ऊजवी रह्या छीए, ते सर्वज्ञ परमदेव वर्द्धमान
महावीरप्रभु प्रत्ये सम्यक्भक्तिनी अंजलिरूपे आ विशेषांक
प्रगट करतां मारुं हृदय हर्ष–आनंद अने तृप्ति अनुभवे छे.
बाद पण आपणे माटे ए परम हर्षनुं कारण छे के–श्री
वीरप्रभुए बतावेलो मोक्षनो मार्ग आजे पण चाली रह्यो छे,
ने ए मार्गमां आपणने अपुनर्भवना हेतुनी प्राप्ति थाय छे.
अहा, केवो आनंदमय मार्ग!
जईए–एवी भावनासहित, परम उपकारी शासननायक प्रभु
प्रत्ये मोक्षकल्याणकनी अंजलि अर्पीए छीए. –हरि.....