Atmadharma magazine - Ank 384
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 30 of 106

background image
: आसो : २५०१ आत्मधर्म : २७ :
मारी पर्यायमां मारो आत्मा ज छे, ते ज मारा सम्यग्दर्शननो विषय छे. मारी
सम्यग्दर्शनपर्याय कोई निमित्तना, रागना के पर्यायना आश्रये परिणमी नथी;
तेथी मारी ते पर्यायमां राग के निमित्त नथी. जेना आश्रये ते पर्याय प्रगटी छे
ते आत्मा ज ते पर्यायमां छे. आम ज्ञान–दर्शन आदि समस्त पर्यायमां मारो
शुद्धआत्मा ज छे.–आवो निर्णय करनारने आत्माना आश्रये सम्यग्दर्शन–
ज्ञानादि निर्मळ पर्यायनो उत्पाद थयो छे, अशुद्धतानो व्यय थयो छे; आ रीते
आत्मामां एकसाथे उत्पाद–व्यय–ध्रुव वर्ते छे.
पंचमभावनी भावना ते पंचमगतिनो हेतुं छे. –अहा, जेमां
अनंतकाळना दुःखनो सर्वथा अंत, अने अनंतकाळना अपूर्व आनंदमय सुखनी
प्राप्ति छे–एवी पंचमगति एटले के मोक्षगति–सिद्धगति ते पण महिमावंत
होवाथी पूज्य छे. एवी पूज्य मोक्षगति केम पमाय? –के पंचमभावरूप जे
आत्मस्वभाव (पांच विशेषणथी उपर कह्यो) तेनी भावनाथी मोक्षपद पमाय
छे. सम्यग्दर्शन पण तेनी ज भावनाथी–तेनी ज सन्मुखताथी पमाय छे. एवा
आत्मानी सन्मुख थयेला धर्मात्मा जाणे छे के मारी सम्यग्दर्शन पर्यायमां मारो
आत्मा ज छे, आवो आत्मा ते ज भूतार्थ छे....ते भूतार्थना आश्रये ज
सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्र वगेरे बधी निर्मळपर्यायो थाय छे. भूतार्थस्वभावना
आश्रये सम्यग्दर्शन छे–ए कुंदकुंदस्वामीना महान सूत्रमां (स. गा. ११मां)
जैनसिद्धांतनो सार भर्यो छे.
भूतार्थस्वभावरूप ज्ञायकस्वभावना आश्रये थयेलुं सम्यग्दर्शन ते
वीतरागी छे, तेना आश्रये थयेलुं सम्यग्ज्ञान पण वीतराग–ज्ञान छे. अहो,
कुंदकुंदस्वामीनुं हृदय घणुं गंभीर छे! समयसारमां एमनुं हृदय भर्युं छे. एक
समयसारना गंभीर भावोने बराबर समजे तो बधा खुलासा थई जाय, ने
बीजा शास्त्रमां शोधवा जवुं पडे नहि.
* सहज चारित्रपर्यायमां आत्मा ज सन्निहित छे *
शुद्ध ज्ञानचेतना–सम्यग्दर्शनादिरूपे परिणमेला धर्मात्मा जाणे छे के मारी
आ निर्मळपर्यायो जे त्रिकाळी आत्माना आश्रये प्रगटी छे, ते बधी पर्यायोमां
मारो आत्मा ज रहेलो छे, ते पर्यायोमां राग के निमित्तो रहेलां नथी; राग के
निमित्तोना आश्रये ते पर्याय थयेली नथी. जे सहज अनादिअनंत तत्त्वना
आश्रये ते निर्मळपर्यायो थई छे ते परमतत्त्व ज मारी पर्यायोमां समीप–नीकट
वर्ते छे; ते दूर नथी