Atmadharma magazine - Ank 384
(Year 32 - Vir Nirvana Samvat 2501, A.D. 1975)
(Devanagari transliteration).

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: ६८ : आत्मधर्म : आसो : २५०१
१४६. एक राजु विस्तारवाळ मध्यलोकमां (–असंख्य द्वीप – समुद्रनी उपर)
ज्योतिषी देवोनां विमान छे; उध्वलोकमां कल्पवासी (स्वर्गनां) देवो छे;
ने अधोलोकमां नारकी जीवो छे.
१४७. बादर – पर्याप्त अग्निकायना जीवो धन–आवलीना असंख्यातमा भाग
जेटला छे, अने ते वायुकायना जीवो लोकप्रदेशप्रमाणथी किंचित् न्यून छे.
१४८. पृथ्वीकायिक, जलकायिक, प्रत्येक वनस्पति – सप्रतिष्ठित तेमज
अप्रतिष्ठि, तथा त्रस–ए बधा पर्याप्त तेमज अर्पायप्त, ते दरेक जातिना
जीवो असंख्याती जगश्रेणी – प्रमाण छे.
१४९. उपर कह्या ते जीवोमां लब्धि – अपर्याप्त बादर जीवो प्रत्येक
असंख्यातालोक प्रमाण छे; तथा लब्धिअपर्याप्त सूक्ष्मजीवो अने सूक्ष्म –
पर्याप्तजीवो असंख्यात लोकप्रमाण करतां संख्यातगुणा छे.
१५०. सिद्धजीवो अनंता छे; सिद्ध करतां अनंतगुणा निगोदजीवो छे, अने सिद्ध
करतां अनंतमा भागना अभव्यजीवो छे.
१५१. सम्मूर्छन – मनुष्यो श्रेणीना असंख्यातमा भाग प्रमाण छे; अने गर्भज
मनुष्यो मात्र संख्याता ज छे, – ए नियम छे. (चालु)
* आत्मधर्मनो प्रचार अने प्रभावना *
भगवान महावीरप्रभुना अढीहजार निर्वाणमहोत्सव निमित्ते ‘आत्मधर्म’ नो
आ विशेषांक प्रगट थाय छे. अत्यार सुधीना ३२ वर्षमां प्रगट थयेल अंकोमां आ अंक
सौथी मोटो अने सौथी सुंदर छे. आ विशेषांकना प्रकाशनमां नीचे मुजब जे रकमो वधु
पानां माटे आवेली – तेनो उपयोग करेल छे, – ते माटे सौने धन्यवाद!
२३६. किशोरचंद्र प्रेमचंद शाह नाईरोबी ४०१. चंद्रकांतभाई जैन भीलाई
२३६ सुशीलाबेन किशोरचंद्र शाह नाईरोबी ४०१. प्रेमीलाबेन जे. शाह सीकंदराबाद
२३६. सुशीलाबेन पंकज शाह नाईरोबी ४०१. दयाकुमारी पानाचंद कामदार बरोडा
४०१. सुमेरचंद नेमीचंदसा जैन मलकापुर ४००. नेमचंद मोतीलाल जैन दिल्ही
४०१. वासंतीबेन गुणवंतराय भायाणी मुंबई ४६२ श्री दिगम्बर जैन मुमुक्षु मंडळ चोटीला
४५२ स्व. चंदुलाल वीकमसी संघवी राजकोट ४०१. लाल मनसुख जवेलर्स दिल्ही
२०१. चंदुलाल मगनलाल शाह कांदिवली २०१. वीणा अश्विनचंद्र झवेरी सुरत
४०१. केशवलाल वृजलाल कोठारी मोडासा *