: ७८ : आत्मधर्म : आसो : २५०१
(भाई) : भगवान मोक्ष पधार्या तेने आजे अढीहजार वर्ष वीती गया, छतां
आजे पण भगवाने देखाडेलो मोक्षमार्ग केवो मजानो शोभी रह्यो छे!
(बेन) : वाह भाई! खरेखर आपणा महान भाग्य छे. अरे, आवो हळ–हळतो
पापयुग, चारेकोर पापनो पार नहि, डगले ने पगले हिंसा – जुठुं–
चोरी–सीनेमाना भयंकर खोटा संस्कार, ने अन्यायना मार्गे पैसाना
परिग्रहनुं गांडपण, –एनी वच्चे पण आजे आपणने आवो मजानो
वीतरागीधर्म अने तेना उत्तम संस्कार मळ्या छे ते भगवान
महावीरनो प्रताप छे, – ते वीतरागी मुनिओनो प्रताप छे.
(भाई) : हा बेन! तेथी आपणे सौ महावीर भगवानना मार्गे जवा तैयार थया
छीए. आजथी आपणे सिनेमा नहि जोईए. कंदमूळ नहि खाईए; –
बोलो भाईओ! बोलो बहेनो! – छे कबुल?
(बधा साथे) : हा, कबुल छे – कबुल छे – कबुल छे?
आपणे हवे सिनेमा नहीं जोईए; कंदमूळ नहीं खाईए.
(घंटनाद – शाबाशी)
(बेन) : – अने दररोज भगवाननां दर्शन करवा जईशुं; तथा धर्मनो अभ्यास
पण करशुं – जेथी महावीर भगवानना मार्गने ओळखीने आपणे पण
ते मार्गे जईए.
(भाई): वाह, घणुं सरस! भगवानना मार्गे जवा माटे आपणे सौ तैयार
छीए....
(बधा साथे –) तैयार छीए.... तैयार छीए.... तैयार छीए.
(एक गवडावे.... ने.... बीजा बधा झीले...) (दरेक लाईन बे वार बोलवी)
वीरप्रभुनां सौ संतान! ............ छे तैयार....... छे तैयार......
वीरप्रभुना पंथे जावा............ छे तैयार....... छे तैयार......
अरिहंतदेवनी सेवा करवा............ छे तैयार....... छे तैयार......
जिनशासननी सेवा करवा............ छे तैयार....... छे तैयार......
साधुजनोनी सेवा करवा............ छे तैयार....... छे तैयार......