आपना स्वरूपने प्राप्त करी शकतो नथी; परंतु जे मनुष्य
मन तथा इन्द्रियोने बाह्य पदार्थोथी पाछा हठावी ले छे ते
वास्तविकपणे आपना स्वरूपने देखी अने जाणी शके छे,
माटे जे मनुष्य समस्त प्रकारना परिग्रहोथी रहित थई,
शास्त्रोना सारी रीते ज्ञाता थई, शांत अने एकांतवासी थई,
मन तथा इन्द्रियोने बाह्य पदार्थोथी पाछा हठावी लई अने
तेमने आपना स्वरूपमां जोडी दई आपने जोई लीधा छे,
ते मनुष्ये आपना समीपपणाने प्राप्त कर्युं छे, एम सारी
रीते निश्चित छे.
(पूजाने योग्य) आपने पाम्यो छे ते मनुष्यने, ब्रह्मा, विष्णु
आदिने पण निश्चयपूर्वक अलभ्य एवुं उत्तम पद प्राप्त थाय
छे. हे नाथ ! हुं शुं करुं ? आपनामां एक चित्त कर्या छतां
मारुं मन प्रबळपणे बाह्य पदार्थो प्रत्ये दोडे छे, ए मोटो
खेद छे.
ब्रह्मा, विष्णु पण ते प्राप्त करी शकता नथी, परंतु हे