Alochana-Gujarati (Devanagari transliteration).

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क्षण मात्रमां विनाशी छे. एवो सम्यक् प्रकारे विचार करी, आ
मारुं मन समस्त संसारने उत्पन्न करनार व्यापार (प्रवृत्ति)थी
रहित थई, हे जिनेंद्र ! आपना निर्विकार परमानंदमय
परब्रह्मस्वरूपमां स्थित थवाने इच्छा करे छे.
शुभ, अशुभ उपयोगथी खसी शुद्ध
उपयोगमां निवासनी भावना :
१८. अर्थ :जे समये अशुभ उपयोग वर्ते छे ते
समये तो पापनी उत्पत्ति थाय छे अने ते पापथी जीव नाना
प्रकारना दुःखोने अनुभवे छे, जे समये शुभ उपयोग वर्ते छे
ते समये पुण्यनी उत्पत्ति थाय छे; अने ते पुण्यथी जीवने
सुख
प्राप्त थाय छे. ए बंने पाप-पुण्यरूप द्वन्द्व संसारनुं ज कारण
छे. अर्थात् ए बंनेथी सदा संसार ज उत्पन्न थाय छे, किंतु
शुद्धोपयोगथी अविनाशी अने आनंदस्वरूप पदनी प्राप्ति थाय
छे. हे अर्हंत प्रभो ! आप तो ते पदमां निवास करी रह्या
छो, पण हुं ए शुद्धोपयोगरूप पदमां निवास करवाने इच्छुं छुं.
भावार्थ :उपयोगना त्रण भेद छे, पहेलो अशुभोप-
योग, बीजो शुभोपयोग अने त्रीजो शुद्धोपयोग. तेमां पहेलां
बे उपयोगथी तो संसारमां ज भटकवुं पडे छे; केम के जे समये
जीवनो उपयोग अशुभ हशे ते समये तेने पापनो बंध थशे
अने पापनो बंध थवाथी तेने नाना प्रकारनी माठी गतिओमां
१. अनुकूळ संयोग.
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