Alochana-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


Page 14 of 24
PDF/HTML Page 17 of 27

 

background image
अने हुं आपनी सामे खडा छीए, तेथी ते दुष्ट कर्मने हठावी
दूर करो; केम के नीतिमान प्रभुओनो तो ए धर्म छे के ते
सज्जनोनी रक्षा करे अने दुष्टोनो नाश करे.
भावार्थ :हे भगवान ! जेवो अनंतज्ञानदर्शन
सुखवीर्य आदि गुणस्वरूप आपनो आत्मा छे तेवो ज
ते ज गुणो सहितमारो आत्मा पण छे, परंतु भेद एटलो
ज छे के आपने ते गुणोनिर्मळ अंशो प्रगट थई गया छे,
ज्यारे मने ते गुणो प्रकट्या नथी. आ भेद पाडनार ते ज
कर्म छे, केम के ते कर्मनी कृपाथी मारा आ स्वभाव पर
आवरण पड्युं छे. हवे आ समये अमे बंने आपनी समक्ष
हाजर छीए तो ते दुष्ट कर्मने दूर करो, केम के आप त्रण
लोकना स्वामी छो; अने नीतिज्ञनो धर्म छे के ते सज्जनोनी
रक्षा करे तथा दुष्टोनो नाश करे.
आत्मानुं अविकारी स्वरुप :
२१. अर्थ :हे भगवान ! विविध प्रकारना आकार
अने विकार करनार वादळां आकाशमां होवा छतां पण, जेम
आकाशना स्वरूपनो कांईपण फेरफार करी शकतां नथी, तेम
आधि, व्याधि, जरा, मरण आदि पण मारा स्वरूपनो
कांईपण फेरफार करी शके तेम नथी, केम के ए सर्व शरीरना
विकार छे, जड छे; ज्यारे मारो आत्मा ज्ञानवान अने
शरीरथी भिन्न छे.
भावार्थ :जेम आकाश अमूर्त छे, तेथी रंगबेरंगी
[ १४ ]