Alochana-Gujarati (Devanagari transliteration).

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तथा ते कर्मो आपना चैतन्यथी जुदा ज छे अथवा तो
चैतन्यथी आ कर्मोने भिन्न पाडवामां आप ज कारण छो;
तेथी हे शुद्धात्मन् ! हे जिनेंद्र ! मारी स्थिति निश्चयपूर्वक
आपमां ज छे.
भावार्थ :यदि निश्चयथी जोवामां आवे तो हे
जिनेंद्र ! आप तथा हुं समान ज छीए, केम के निश्चयनयथी
आपनो आत्मा कर्मबंध रहित छे तेम मारा आत्मा साथे पण
कोई प्रकारना कर्मोनुं बंधन रहेतुं नथी; तेथी हे भगवान!
मारी स्थिति निश्चयपूर्वक आपना स्वरूपमां ज छे.
धार्मीनी अंतर्भावना :
२४. अर्थ :हे आत्मन् ! तारे नथी तो लोकथी काम,
नथी तो अन्यना आश्रयथी काम; तारे नथी तो द्रव्यथी
(लक्ष्मीथी) प्रयोजन, नथी तो शरीरथी प्रयोजन, तारे वचन
तथा इन्द्रियोथी पण कांई काम नथी, तेम ज
(दश) प्राणोथी
पण प्रयोजन नथी; अने नाना प्रकारना विकल्पोथी पण कांई
काम नथी, केम के ते सर्व पुद्गल द्रव्यना ज पर्यायो छे. वळी
ताराथी भिन्न छे तोपण, बहु खेदनी वात ए छे के तुं तेमने
पोताना मानी तेमनो आश्रय करे छे, तेथी शुं तुं द्रढ बंधनथी
बंधाईश नहि? अवश्य बंधाईश.
भावार्थ :हे आत्मन् ! तुं तो निर्विकार
१. दस प्राण=पांच इन्द्रिय, त्रण बल (मनबल, वचनबल,
कायबल) आयु, श्वासोच्छ्वास.
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