वचन आदि सर्व पदार्थो पुद्गल द्रव्यना पर्याय छे अने
ताराथी भिन्न छे, एम होवा छतां पण, जो तुं तेमने
पोताना समजी तेमनो आश्रय करीश तो तुं अवश्यमेव
बंधाईश; तेथी ते सर्व परपदार्थो परनी ममता छोडी
शुद्धानंद चैतन्यस्वरूप आत्मानुं ध्यान कर के जेथी तुं कर्मोथी
न बंधाय.
सहकारी छे, तेथी मारा सहायक थईने ज रहे छे; परंतु
नोकर्म (त्रण शरीर, छ पर्याप्ति) अने कर्म जेनुं स्वरूप छे,
एवुं तथा समीपे रहेनार अने बंधने करनार एक पुद्गल
द्रव्य ज मारुं वैरी छे, तेथी आ समये में तेना
भेदविज्ञानरूप तलवारथी खंडखंड ऊडावी दीधा छे. (खरो
वैरी तो पोतानो अशुद्धभाव छे.)
काल