Alochana-Gujarati (Devanagari transliteration).

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सहन करवां पडे छे, माटे भव्य जीवोए एवा परम अहित
करनार राग-द्वेषनो त्याग अवश्यमेव करी देवो जोईए.
आनंदस्वरुप शुद्धात्मानुं धयान अने मनन :
२७. अर्थ :हे मन ! बाह्य तथा ताराथी भिन्न जे
स्त्री, पुत्र आदि पदार्थो छे तेमनामां राग-द्वेषस्वरूप अनेक
प्रकारना विकल्पो करी तुं शा माटे दुःखद अशुभ कर्मो फोकट बांधे
छे ? जो तुं आनंदरूप जळना समुद्रमां शुद्धात्माने पामी तेमां
निवास करीश, तो तुं निर्वाणरूप विस्तीर्ण सुखने अवश्य प्राप्त
करीश. एटला माटे, तारे आनंदस्वरूप शुद्ध आत्मामां ज निवास
करवो जोईए अने तेनुं ज ध्यान तथा मनन करवुं जोईए.
आत्मा मधयस्थ साक्षी छे :
२८. अर्थ :हे जिनेंद्र ! आपना चरणकमळनी कृपाथी
पूर्वोक्त वातोने सम्यक्प्रकारे मनमां विचारी जे समये आ जीव
शुद्धि माटे अध्यात्मरूप त्राजवामां पग मूके छे ते ज समये,
तेने दोषित बनाववाने भयंकर वैरी सामा पल्लामां हाजर छे.
हे भगवान ! तेवा प्रसंगे आप ज मध्यस्थ साक्षी छो.
भावार्थ :कांटाने बे छाबडा होय छे. तेमां एक
अध्यात्मरूप छाबडामां जीव शुद्धि अर्थे चडे छे, ते समये बीजा
छाबडामां कर्मरूप वैरी ते प्राणीने दोषी बनाववा सामे हाजर
ज छे, आवा प्रसंगे हे भगवान ! आप आ बन्ने वच्चे साक्षी
छो; तेथी आपे नीतिपूर्वक न्याय करवो पडशे.
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