Alochana-Gujarati (Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


Page 21 of 24
PDF/HTML Page 24 of 27

 

background image
मनुष्य घणी कठिनताथी धारण करी शके तेम छे, परंतु
पूर्वोपार्जित पुण्योथी आपमां मारी जे द्रढ भक्ति छे ते भक्ति
ज, हे जिन ! मने संसाररूप समुद्रथी पार उतारवामां नौका
समान थाओ. अर्थात् मने संसारसमुद्रथी आ भक्ति ज पार
उतारी शकशे.
भावार्थ :कर्मोनो नाश कर्या विना मोक्षप्राप्ति थई
शकती नथी अने कर्मोनो नाश तो आप द्वारा वर्णित चारित्र
(तप)थी थाय छे. हे भगवान ! शक्तिना अभावथी आ
पंचमकालमां मारा जेवो मनुष्य ते तप करी शकतो नथी; तेथी
हे परमात्मा ! मारी ए प्रार्थना छे के सद्भाग्ये आपमां मारी
जे द्रढ भक्ति छे, तेनाथी मारा कर्म नष्ट थई जाओ अने मने
मोक्षनी प्राप्ति थाओ.
मोक्षपदनी प्राप्ति अर्थे प्रार्थना :
३१. अर्थ :आ संसारमां भ्रमण करी में इन्द्रपणुं,
निगोदपणुं अने बंने वच्चेनी अन्य समस्त प्रकारनी योनिओ
पण अनंतवार प्राप्त करी छे, तेथी ए पदवीओमांथी कोई पण
पदवी मारा माटे अपूर्व नथी; किंतु मोक्षपदने आपनार
सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्रना ऐक्यनी पदवी जे
अपूर्व छे ते हजी सुधी मळी नथी, तेथी हे देव ! मारी
सविनय प्रार्थना छे के सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्-
चारित्रनी पदवी ज पूर्ण करो.
भावार्थ :यद्यपि, संसारमां इन्द्र आदि पदवीओ छे ते,
[ २१ ]