Alochana-Gujarati (Devanagari transliteration).

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कृतिने त्रणे (प्रातः, मध्याह्न, सायं) काल, श्री अर्हंत् प्रभु सामे
भणे ते बुद्धिमान मनुष्य एवा उच्च पदने प्राप्त थाय छे के
जे पद मोटा मोटा मुनिओ चिरकालपर्यंत तप द्वारा घोर प्रयत्ने
पामी शके छे.
भावार्थ :जे मनुष्य (स्वभावना भान सहित)
प्रातःकाळ, मध्याह्नकाळ अने सायंकाळत्रणे काल श्री अरहंत-
देव सामे आलोचनानो पाठ करे छे ते शीघ्र मोक्ष प्राप्त करे
छे, तेथी मोक्षाभिलाषीओए श्री अरहंतदेव सामे श्री पद्मनंदि
आचार्य द्वारा रचायेली आलोचना नामनी कृतिनो पाठ त्रणे काळ
अवश्यमेव करवो जोईए.
इति आलोचना अधिकार समाप्त.
आलोचना संभळावनार परमकृपाळु
श्री सद्गुरुदेव-उपकारदर्शन
अहो! अहो! श्री सद्गुरु, करुणासिंधु अपार;
आ पामर पर प्रभु कर्यो, अहो! अहो! उपकार.
शुं प्रभु चरण कने धरुं, आत्माथी सौ हीन;
ते तो प्रभुए आपियो, वर्तुं चरणाधीन.
आ देहादि आजथी, वर्तो प्रभु आधीन;
दास दास हुं दास छुं, आप प्रभुनो दीन.
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