Alochana-Gujarati (Devanagari transliteration).

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उत्तम फुवारासहित घर प्राप्त थाय तो ते पुरुषने जेठ मासनो
प्रखर मध्याह्न
ताप शुं करी शके तेम छे ? अर्थात् कांई करी
शके नहि.
भावार्थ :हे त्रण लोकना ईश ! जेम शीतळ जळ वडे
ऊडता फुवाराथी सुशोभित उत्तम घरमां बेठेला पुरुषने जेठ
मासनी बपोरनी अत्यंत गरमी पण कांई करी शके नहि तेम
हुं निश्चयपूर्वक आपनी सेवामां द्रढपणे स्थित छुं, तो मने
बळवान संसाररूप वैरी पण जराय त्रास आपी शके नहि.
भेदज्ञान द्वारा साधाकदशा:
४. अर्थ :आ पदार्थ साररूप छे अने आ पदार्थ
असाररूप छे. ए प्रकारे सारासारनी परीक्षामां एकचित्त थई,
जे कोई बुद्धिमान मनुष्य त्रणे लोकना समस्त पदार्थोनो,
अबाधित गंभीर द्रष्टिथी विचार करे छे, तो ते पुरुषनी द्रष्टिमां
हे भगवान ! आप ज एक सारभूत पदार्थ छो अने आपथी
भिन्न समस्त पदार्थो असारभूत ज छे. अतः आपना
आश्रयथी ज मने परम संतोष थयो छे.
हवे आचार्यदेव ‘पूर्ण साधय’ वर्णवे छे:
५. अर्थ :हे जिनेश्वर ! समस्त लोकालोकने एक
साथे जाणनारुं आपनुं ज्ञान छे, समस्त लोकालोकने एक
साथे देखनारुं आपनुं दर्शन छे, आपने अनंत सुख अने
अनंत बळ छे तथा आपनी प्रभुता पण निर्मलतर छे, वळी
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