३५२] [अष्टपाहुड
दंसणणाणचरित्ते उपहाणे जइ ण लिंगरुवेण।
अट्टं झायदि झाणं अणंत संसारिओ होदि।। ८।।
अट्टं झायदि झाणं अणंत संसारिओ होदि।। ८।।
दर्शनज्ञान चारित्राणि उपधानानि यदि न लिंगरुपेण।
आर्त्तं ध्यायाति ध्यानं अनंतसंसारिकः भवति।। ८।।
आर्त्तं ध्यायाति ध्यानं अनंतसंसारिकः भवति।। ८।।
अर्थः––यदि लिंगरूप करके दर्शन ज्ञान चारित्र को तो उपधानरूप नहीं किये [–धारण
नहीं किये] और आर्त्तध्यान को ध्याता है तो ऐसा लिंगी अनंत संसारी होता है।
भावार्थः––लिंग धारण करके दर्शन ज्ञान चारित्रका सेवन करना था वह तो नहीं किया और परिग्रह कुटुम्ब आदि विषयोंका परिग्रह छोड़ा उसकी फिर चिंता करके आर्त्तध्यान–ध्याने लगा तब अनंत संसारी क्यों न हो? इसका तात्पर्य है कि–––सम्यग्दर्शनादि रूप भाव तो पहिले हुए नहीं और कुछ कारण पाकर लिंग धारण कर लिया, उसकी अवधि क्या? पहिले भाव शुद्ध करके लिंग धारण करना युक्त है।। ८।। आगे कहते हैं कि यदि भाव शुद्धिके बिना गृहस्थपद छोड़े तो यह प्रवृत्ति होती हैः––– –
जो जोडेदि विवाहं किसिकम्मवणिज्जजीवद्यादं च।
वच्चदि णरयं पाओ करमाणो लिंगिरुवेण।। ९।।
वच्चदि णरयं पाओ करमाणो लिंगिरुवेण।। ९।।
यः योजयति विवाहं कृषिकर्मवाणिज्यजीवघातं च।
व्रजति नरकं पापः कुर्वाणः लिंगिरुपेण।। ९।।
व्रजति नरकं पापः कुर्वाणः लिंगिरुपेण।। ९।।
अर्थः––जो गृहस्थोंके परस्पर विवाह जोड़ता है––सम्बन्ध कराता है, कृषिकर्म खेती
बहाना किसान का कार्य, वाणिज्य व्यापार अर्थात् वैश्यका कार्य और जीवघात अर्थात् वैद्यकर्म
के लिये जीवघात करना अथवा धीवरादिका कार्य, इन कार्यों को करता है वह लिंगरूप धारण
करके ऐसे पापकार्य करता हुआ पापी नरकको प्राप्त होता है।
बहाना किसान का कार्य, वाणिज्य व्यापार अर्थात् वैश्यका कार्य और जीवघात अर्थात् वैद्यकर्म
के लिये जीवघात करना अथवा धीवरादिका कार्य, इन कार्यों को करता है वह लिंगरूप धारण
करके ऐसे पापकार्य करता हुआ पापी नरकको प्राप्त होता है।
भावार्थः––गृहस्थपद छोड़कर शुद्धभाव बिना लिंगी हुआ था, इसकी भावकी ––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––––
ज्यां लिंग रूपे ज्ञानदर्शन चरणनुं धारण नहीं,
ने ध्यान ध्यावे आर्त, तेह अनंत संसारी मुनि। ८।
जोडे विवाह, करे कृषि–व्यापार–जीवविघात जे,
ने ध्यान ध्यावे आर्त, तेह अनंत संसारी मुनि। ८।
जोडे विवाह, करे कृषि–व्यापार–जीवविघात जे,
लिंगीरूपे करतो थको पापी नरकगामी बने। ९।