Benshreeke Vachanamrut (Hindi).

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सखी देख्युं कौतुक आज
[राग :आवो आवो सीमंधरनाथ]
सखी ! देख्युं कौतुक आज माता ‘तेज’ घरे;
एक आव्या विदेही महेमान, नीरखी नेन ठरे,
विदेही विभूति महान भरते पाय धरे;
मा ‘तेज’ तणे दरबार ‘चंपा’ पुष्प खीले....सखी० १.
शी बाळलीला निर्दोष, सौनां चित्त हरे;
शा मीठा कुंवरीबोल, मुखथी फू ल झरे.
शी मुद्रा चंद्रनी धार, अमृत
निर्झरणी;
उर सौम्य सरल सुविशाळ, नेनन भयहरणी....सखी० २.
करी बाळवये बहु जोर, आतमध्यान धर्युं;
सांधी आराधनदोर, सम्यक् तत्त्व लह्युं.
मीठी मीठी विदेहनी वात तारे उर भरी;
अम आत्म उजाळनहार, धर्मप्रकाशकरी....सखी० ३.
सीमंधर
गणधर
संतना, तमे सत्संगी;
अम पामर तारण काज पधार्यां करुणांगी.
तुज ज्ञान-ध्याननो रंग अम आदर्श रहो;
हो शिवपद तक तुज संग, माता ! हाथ ग्रहो....सखी० ४.
[ २०६ ]

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जन्म वधामणां
[राग :पुरनो मोरलो हो राज]
जन्मवधामणां हो राज ! हैडां थनगन थनगन नाचे;
जन्म्यां कुंवरी चंद्रनी धार, मुखडां अमीरस अमीरस सींचे.
(साखी)
कुंवरी पोढे पारणे, जाणे उपशमकंद;
सीमंधरना सोणले मंद हसे मुखचंद.
हेते हींचोळतां हो राज ! माता मधुर मधुर मुख मलके;
खेले खेलतां हो राज ! भावो सरल सरल उर झळके....जन्म०
(साखी)
बाळावयथी प्रौढता, वैरागी गुणवंत;
मेरु सम पुरुषार्थथी देख्यो भवनो अंत.
हैयुं भावभीनुं हो राज ! हरदम ‘चेतन’ ‘चेतन’ धबके;
निर्मळ नेनमां हो राज ! ज्योति चमक चमक अति चमके....जन्म०
(साखी)
रिद्धिसिद्धिनिधान छे गंभीर चित्त उदार;
भव्यो पर आ काळमां अद्भुत तुज उपकार.
चंपो म्होरियो हो राज ! जगमां मघमघ मघमघ म्हेके;
‘चंपा’
पुष्पनी सुवास, अम उर मघमघ मघमघ म्हेके....जन्म०
[ २०७ ]

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भव्योनां दिलमां दीवडा प्रगटावनार
[राग :सोहागमूर्ति शी रे के]
जन्मवधाईना रे के, सूर मधुर गाजे साहेलडी,
तेजबाने मंदिरे रे के चोघडियां वागे साहेलडी;
कुंवरीना दर्शने रे के नरनारी हरखे साहेलडी,
वीरपुरी धाममां रे के कुमकुम वरसे साहेलडी.
(साखी)
सीमंधरदरबारना, ब्रह्मचारी भडवीर;
भरते भाळ्या भाग्यथी, अतिशय गुणगंभीर.
नयनोना तेजथी रे के सूर्यतेज लाजे साहेलडी,
शीतळता चंद्रनी रे के मुखडे विराजे साहेलडी;
उरनी उदारता रे के सागरना तोले साहेलडी,
फू लनी सुवासता रे के बेनीबाना बोले साहेलडी....जन्म०
(साखी)
ज्ञानानंदस्वभावमां, बाळवये करी जोर;
पूर्वाराधित ज्ञाननो, सांध्यो मंगल दोर.
ज्ञायकना बागमां रे के बेनीबा खेले साहेलडी,
दिव्य मति-श्रुतनां रे के ज्ञान चडयां हेले साहेलडी;
ज्ञायकनी उग्रता रे के नित्य वृद्धि पामे साहेलडी,
आनंदधाममां रे के शीघ्र शीघ्र जामे साहेलडी....जन्म०
[ २०८ ]

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(साखी)
समवसरणजिनवर तणो, दीधो द्रष्ट चितार;
उरमां अमृत सींचीने, कर्यो परम उपकार.
सीमंधरकुंदनी रे के वात मीठी लागे साहेलडी,
अंतरना भावमां रे के उज्ज्वळता जागे साहेलडी;
खम्मा मुज मातने रे के अंतर उजाळ्यां साहेलडी,
भव्योना दिलमां रे के दीवडा जगाव्या साहेलडी....जन्म०
[ २०९ ]

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आवी श्रावणनी बीजलडी
[राग :रूपला रातलडीमां]
आवी श्रावणनी बीजलडी आनंददायिनी हो बेन,सुमंगलमालिनी हो बेन !
जन्म्यां कुंवरी माता‘तेज’घरे महा पावनी हो बेन,परम कल्याणिनी हो बेन !
ऊतरी शीतळतानी देवी शशी मुख धारती हो बेन,नयनयुग ठारती हो बेन !
निर्मळ आंखलडी सूक्ष्म--सुमति--प्रतिभासिनी हो बेन,अचल तेजस्विनी हो बेन !
(साखी)
मातानी बहु लाडिली, पितानी काळजकोर;
बंधुनी प्रिय ब्हेनडी, जाणे चंद्रचकोर.
ब्हेनी बोले ओछुं, बोलाव्ये मुख मलकती हो बेन,कदीक फू ल वेरती हो बेन !
सरला, चित्तउदारा, गुणमाळा उर धारिणी हो बेन,सदा सुविचारिणी हो बेन !.....आवी०
(साखी)
वैरागी अंतर्मुखी, मंथन पारावार;
ज्ञातानुं तल स्पर्शीने, कर्यो सफ ळ अवतार,
ज्ञायकअनुलग्ना, श्रुतदिव्या, शुद्धिविकासिनी हो बेन,
परमपदसाधिनी हो बेन !
संगविमुख, एकल निजनंदनवनसुविहारिणी हो बेन,सुधा
आस्वादिनी हो बेन !....आवी०
(साखी)
स्मरणो भवभवनां रूडां, स्वर्णमयी इतिहास,
दैवी उरआनंदिनी ‘चंपा’ पुष्पसुवास।
कल्पलता मळी पुण्योदयथी चिंतितदायिनी हो बेन,सकलदुखनाशिनी हो बेन !
मुक्ति वरुंमनरथ ए मात पूरो वरदायिनी हो बेन,
महाबलशालिनी हो बेन !....आवी०

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मंगलकारी ‘तेज’ दुलारी
(राग : निरखी निरखी मनहर मूरत)
मंगलकारी ‘तेज’ दुलारी पावन मंगल मंगल है;
मंगल तव चरणों से मंडित अवनी आज सुमंगल है,
....मंगलकारी०

श्रावण दूज सुमंगल उत्तम
वीरपुरी अति मंगल है,
मंगल मातपिता, कुल मंगल, मंगल धाम रु आंगन है;
मंगल जन्ममहोत्सवका यह अवसर अनुपम मंगल है,

....मंगलकारी०

मंगल शिशुलीला अति उज्ज्वल, मीठे बोल सुमंगल हैं,

शिशुवयका वैराग्य सुमंगल, आतम--मंथन मंगल है;

आतमलक्ष लगाकर पाया अनुभव श्रेष्ठ सुमंगल है,

....मंगलकारी०

सागर सम गंभीर मति--श्रुत ज्ञान सुनिर्मल मंगल है,

समवसरणमें कुंदप्रभुका दर्शन मनहर मंगल है,

सीमंधर--गणधर--जिनधुनिका स्मरण मधुरतम मंगल है,

....मंगलकारी०

शशि--शीतल मुद्रा अति मंगल, निर्मल नैन सुमंगल है,

आसन--गमनादिक कुछ भी हो, शांत सुधीर सुमंगल है,

प्रवचन मंगल, भक्ति सुमंगल, ध्यानदशा अति मंगल है,

....मंगलकारी०

दिनदिन वृद्धिमती निज परिणति वचनातीत सुमंगल है,

मंगलमूरति--मंगलपदमें मंगल--अर्थ सुवंदन है;

आशिष मंगल याचत बालक, मंगल अनुग्रहदृष्टि रहे,

तव गुणको आदर्श बनाकर हम सब मंगलमाल लहें ।

....मंगलकारी०
तेजबा = पूज्य बहिनश्री चंपाबेनकी मातुश्री
वीरपुरी = पूज्य बहिनश्री चंपाबेनका जन्मस्थान वर्धमानपुरी (वढवाण शहेर)
[ २११ ]