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एक आव्या विदेही महेमान, नीरखी नेन ठरे,
विदेही विभूति महान भरते पाय धरे;
मा ‘तेज’ तणे दरबार ‘चंपा’ पुष्प खीले....सखी० १.
शी बाळलीला निर्दोष, सौनां चित्त हरे;
शा मीठा कुंवरीबोल, मुखथी फू ल झरे.
शी मुद्रा चंद्रनी धार, अमृत
करी बाळवये बहु जोर, आतमध्यान धर्युं;
सांधी आराधनदोर, सम्यक् तत्त्व लह्युं.
मीठी मीठी विदेहनी वात तारे उर भरी;
अम आत्म उजाळनहार, धर्मप्रकाशकरी....सखी० ३.
सीमंधर
तुज ज्ञान-ध्याननो रंग अम आदर्श रहो;
हो शिवपद तक तुज संग, माता ! हाथ ग्रहो....सखी० ४.
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जन्म्यां कुंवरी चंद्रनी धार, मुखडां अमीरस अमीरस सींचे.
सीमंधरना सोणले मंद हसे मुखचंद.
खेले खेलतां हो राज ! भावो सरल सरल उर झळके....जन्म०
मेरु सम पुरुषार्थथी देख्यो भवनो अंत.
निर्मळ नेनमां हो राज ! ज्योति चमक चमक अति चमके....जन्म०
‘चंपा’
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तेजबाने मंदिरे रे के चोघडियां वागे साहेलडी;
कुंवरीना दर्शने रे के नरनारी हरखे साहेलडी,
वीरपुरी धाममां रे के कुमकुम वरसे साहेलडी.
शीतळता चंद्रनी रे के मुखडे विराजे साहेलडी;
उरनी उदारता रे के सागरना तोले साहेलडी,
फू लनी सुवासता रे के बेनीबाना बोले साहेलडी....जन्म०
पूर्वाराधित ज्ञाननो, सांध्यो मंगल दोर.
दिव्य मति-श्रुतनां रे के ज्ञान चडयां हेले साहेलडी;
ज्ञायकनी उग्रता रे के नित्य वृद्धि पामे साहेलडी,
आनंदधाममां रे के शीघ्र शीघ्र जामे साहेलडी....जन्म०
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खम्मा मुज मातने रे के अंतर उजाळ्यां साहेलडी,
भव्योना दिलमां रे के दीवडा जगाव्या साहेलडी....जन्म०
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ज्ञातानुं तल स्पर्शीने, कर्यो सफ ळ अवतार,
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....मंगलकारी०
श्रावण दूज सुमंगल उत्तम
मंगल जन्ममहोत्सवका यह अवसर अनुपम मंगल है,
....मंगलकारी०
मंगल शिशुलीला अति उज्ज्वल, मीठे बोल सुमंगल हैं,
शिशुवयका वैराग्य सुमंगल, आतम--मंथन मंगल है;
आतमलक्ष लगाकर पाया अनुभव श्रेष्ठ सुमंगल है,
....मंगलकारी०
सागर सम गंभीर मति--श्रुत ज्ञान सुनिर्मल मंगल है,
समवसरणमें कुंदप्रभुका दर्शन मनहर मंगल है,
सीमंधर--गणधर--जिनधुनिका स्मरण मधुरतम मंगल है,
....मंगलकारी०
शशि--शीतल मुद्रा अति मंगल, निर्मल नैन सुमंगल है,
आसन--गमनादिक कुछ भी हो, शांत सुधीर सुमंगल है,
प्रवचन मंगल, भक्ति सुमंगल, ध्यानदशा अति मंगल है,
....मंगलकारी०
दिनदिन वृद्धिमती निज परिणति वचनातीत सुमंगल है,
मंगलमूरति--मंगलपदमें मंगल--अर्थ सुवंदन है;
आशिष मंगल याचत बालक, मंगल अनुग्रहदृष्टि रहे,
तव गुणको आदर्श बनाकर हम सब मंगलमाल लहें ।
....मंगलकारी०