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बहिनश्रीके वचनामृत
है, व्यक्ति में अशुद्धता आयी है ।।४२४।।
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प्रश्न : — जिज्ञासु जीव तत्त्वको यथार्थ धारण
करने पर भी किस प्रकार अटक जाता है ?
उत्तर : — तत्त्वको धारण करने पर भी जगतके
किन्हीं पदार्थोंमें गहरे-गहरे सुखकी कल्पना रह जाये
अथवा शुभ परिणाममें आश्रयबुद्धि रह जाये — इत्यादि
प्रकारसे वह जीव अटक जाता है । परन्तु जो खास
जिज्ञासु — आत्मार्थी हो और जिसे खास प्रकारकी
पात्रता प्रगट हुई हो वह तो कहीं अटकता ही नहीं,
और उस जीवको ज्ञानकी कोई भूल रह गई हो तो
वह भी स्वभावकी लगनके बलसे निकल जाती है;
अंतरकी खास प्रकारकी पात्रतावाला जीव कहीं अटके
बिना अपने आत्माको प्राप्त कर लेता है ।।४२५।।
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प्रश्न : — मुमुक्षुको सम्यग्दर्शन प्राप्त करनेके लिये
क्या करना चाहिये ?
उत्तर : — अनादिकालसे आत्माने अपना स्वरूप