Benshreeke Vachanamrut (Hindi). Bol: 27-30.

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बहिनश्रीके वचनामृत

११

ऐसे कालमें परम पूज्य गुरुदेवश्रीने आत्मा प्राप्त किया इसलिये परम पूज्य गुरुदेव एक ‘अचंभा’ हैं । इस काल दुष्करमें दुष्कर प्राप्त किया; स्वयं अंतरसे मार्ग प्राप्त किया और दूसरोंको मार्ग बतलाया । उनकी महिमा आज तो गायी जा रही है परन्तु हजारों वर्ष तक भी गायी जायगी ।।२७।।

भविष्यका चित्रण कैसा करना है वह तेरे हाथकी बात है । इसलिये कहा है कि‘बंध समय जीव चेतो रे, उदय समय क्या चिंत !’ ।।२८।।

ज्ञानको धीर-गंभीर करके सूक्ष्मतासे भीतर देख तो आत्मा पकड़में आ सकता है । एक बार विकल्पका जाल तोड़कर भीतरसे अलग हो जा, फि र जाल चिपकेगा नहीं ।।२९।।

जब बीज बोते हैं तब प्रगट रूपसे कुछ नहीं दिखता, तथापि विश्वास है कि ‘इस बीजमेंसे वृक्ष उगेगा, उसमेंसे डालें-पत्ते-फलादि आयेंगे’, पश्चात्