‘बहिनश्रीके वचनामृत’ नामका यह लघुकाय प्रकाशन प्रशममूर्ति निजशुद्धात्मद्रष्टिसम्पन्न पूज्य बहिनश्री चंपाबेनके अध्यात्मरससभर प्रवचनोंमेंसे उनकी चरणोपजीवी कुछ कुमारिका ब्रह्मचारिणी बहिनोंने अपने लाभ हेतु झेले हुए — लिखे हुए — वचनामृतमेंसे चुने हुए बोलोंका संग्रह है ।
परमवीतराग सर्वज्ञदेव चरमतीर्थंकर परमपूज्य श्री महावीर- स्वामीकी दिव्यध्वनि द्वारा पुनः प्रवाहित हुए अनादिनिधन अध्यात्म- प्रवाहको श्रीमद्भगवत्कुन्दकुन्दाचार्यदेवने गुरुपरम्परासे आत्मसात् करके युक्ति , आगम और स्वानुभवमय निज वैभव द्वारा सूत्रबद्ध किया; और इस प्रकार समयसारादि परमागमोंकी रचना द्वारा उन्होंने जिनेन्द्रप्ररूपित विशुद्ध अध्यात्मतत्त्व प्रकाशित करके वीतराग मार्गका परम-उद्योत किया है । उनके शासनस्तम्भोपम परमागमोंकी विमल विभा द्वारा निज- शुद्धात्मानुभूतिमय जिनशासनकी मंगल उपासना करके हमारे सौभाग्यसे साधक संत आज भी उस पुनीत मार्गको प्रकाशित कर रहे हैं ।
परमोपकारी पूज्य गुरुदेव श्री कानजीस्वामीको वि. सं. १९७८में भगवत्कुन्दकुन्दाचार्यदेवप्रणीत समयसार-परमागमका पावन योग हुआ । उससे उनके सुप्त आध्यात्मिक पूर्वसंस्कार जागृत हुए, अंतःचेतना विशुद्ध आत्मतत्त्व साधनेकी ओर मुड़ी — परिणति शुद्धात्माभिमुखी बनी; और उनके प्रवचनोंकी शैली अध्यात्मसुधासे सराबोर हो गई ।
जिनके तत्त्वरसपूर्ण वचनामृतोंका यह संग्रह है उन पूज्य बहिनश्री चंपाबेनकी आध्यात्मिक प्रतिभाका संक्षिप्त उल्लेख यहाँ देना उचित माना