इत्यादि विविध आध्यात्मिक पवित्र विशेषताओंसे विभूषित पूज्य बहिनश्री
चंपाबेनके असाधारण गुणगम्भीर व्यक्ति त्वका परिचय देते हुए पूज्य
गुरुदेव स्वयं प्रसन्नहृदयसे अनेक बार प्रकाशित करते हैं कि : —
‘‘बहिनोंका महान भाग्य है कि चंपाबेन जैसी ‘धर्मरत्न’ इस काल पैदा हुई हैं । बहिन तो भारतका अनमोल रतन है । अतीन्द्रिय आनन्दका नाथ उनको अंतरसे जागृत हुआ है । उनकी अंतरकी स्थिति कोई और ही है । उनकी सुद्रढ़ निर्मल आत्मद्रष्टि तथा निर्विकल्प स्वानुभूतिका जोड़ इस काल मिलना कठिन है ।....असंख्य अरब वर्षका उन्हें जातिस्मरणज्ञान है । बहिन ध्यानमें बैठती हैं तब कई बार वह अंतरमें भूल जाती हैं कि ‘मैं महाविदेहमें हूँ या भरतमें’ ! !....बहिन तो अपने अंतरमें — आत्माके कार्यमें — ऐसी लीन हैं कि उन्हें बाहरकी कुछ पड़ी ही नहीं है । प्रवृत्तिका उनको जरा भी रस नहीं है । उनकी बाहर प्रसिद्धि हो वह उन्हें स्वयंको बिलकुल पसन्द नहीं है । परन्तु हमें ऐसा भाव आता है कि बहिन कई वर्ष तक छिपी रहीं, अब लोग बहिनको पहिचानें ।....’’
— ऐसे वात्सल्योर्मिभरे भावोद्गारभरी पूज्य गुरुदेवकी मंगल वाणीमें जिनकी आध्यात्मिक पवित्र महिमा सभामें अनेक बार प्रसिद्ध हुई है उन पूज्य बहिनश्री चंपाबेनके, उन्होंने महिला-शास्त्रसभामें उच्चारे हुए — उनकी अनुभवधारामेंसे प्रवाहित — आत्मार्थपोषक वचन लिपिबद्ध हों तो अनेक मुमुक्षु जीवोंको महान आत्मलाभका कारण होगा, ऐसी उत्कट भावना बहुत समयसे समाजके बहुत भाई-बहिनोंमें वर्तती थी । उस शुभ भावनाको साकार करनेमें, कुछ ब्रह्मचारिणी बहिनोंने पूज्य बहिनश्री चंपाबेनकी प्रवचनधारामेंसे अपनेको विशेष लाभकारी हों ऐसे जो वचनामृत लिख लिये थे वे उपयोगी हुए हैं । उन्हींमेंसे यह अमूल्य वचनामृतसंग्रह तैयार हुआ है । जिनके लेख यहाँ उपयोगी हुए हैं वे बहिनें अभिनन्दनीय हैं ।