इत्यादि विविध आध्यात्मिक पवित्र विशेषताओंसे विभूषित पूज्य बहिनश्री
चंपाबेनके असाधारण गुणगम्भीर व्यक्ति त्वका परिचय देते हुए पूज्य
गुरुदेव स्वयं प्रसन्नहृदयसे अनेक बार प्रकाशित करते हैं कि :
नाथ उनको अंतरसे जागृत हुआ है । उनकी अंतरकी स्थिति कोई और
ही है । उनकी सु
जातिस्मरणज्ञान है । बहिन ध्यानमें बैठती हैं तब कई बार वह अंतरमें
भूल जाती हैं कि ‘मैं महाविदेहमें हूँ या भरतमें’ ! !....बहिन तो अपने
अंतरमें
प्रसिद्धि हो वह उन्हें स्वयंको बिलकुल पसन्द नहीं है । परन्तु हमें ऐसा
भाव आता है कि बहिन कई वर्ष तक छिपी रहीं, अब लोग बहिनको
पहिचानें ।....’’
है उन पूज्य बहिनश्री चंपाबेनके, उन्होंने महिला-शास्त्रसभामें उच्चारे
हुए
उत्कट भावना बहुत समयसे समाजके बहुत भाई-बहिनोंमें वर्तती थी ।
उस शुभ भावनाको साकार करनेमें, कुछ ब्रह्मचारिणी बहिनोंने पूज्य
बहिनश्री चंपाबेनकी प्रवचनधारामेंसे अपनेको विशेष लाभकारी हों ऐसे
जो वचनामृत लिख लिये थे वे उपयोगी हुए हैं । उन्हींमेंसे यह अमूल्य
वचनामृतसंग्रह तैयार हुआ है । जिनके लेख यहाँ उपयोगी हुए हैं वे
बहिनें अभिनन्दनीय हैं ।