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करुणाथी कहे छेः तुं मुक्तस्वरूप आत्मामां निःस्पृहपणे ऊभो रहे. मोक्षनी स्पृहा अने चिंताथी पण मुक्त था. तुं स्वयमेव सुखरूप थई जईश. तारा सुखने माटे अमे आ मार्ग देखाडीए छीए. बहार फांफां मारवाथी सुख नहि मळे. २६६.
ज्ञानी द्रव्यना आलंबनना बळे, ज्ञानमां निश्चय- व्यवहारनी मैत्रीपूर्वक, आगळ वधतो जाय छे अने चैतन्य पोते पोतानी अद्भुततामां समाई जाय छे. २६७.
बहारना रोग आत्मानी साधक दशाने रोकी शकता नथी, आत्मानी ज्ञाताधाराने तोडी शकता नथी. पुद्गलपरिणतिरूप उपसर्ग कंई आत्मपरिणतिने फेरवी शके नहि. २६८.
अहो! देव-शास्त्र-गुरु मंगळ छे, उपकारी छे. आपणने तो देव-शास्त्र-गुरुनुं दासत्व जोईए छे.
पूज्य कहानगुरुदेवथी तो मुक्तिनो मार्ग मळ्यो छे. तेओश्रीए चारे बाजुथी मुक्तिनो मार्ग प्रकाश्यो छे. गुरुदेवनो अपार उपकार छे. ते उपकार केम भुलाय?