मोक्षमार्गनुं स्वरूप टूंकामां कहीए तो ‘अंदरमां ज्ञायक आत्माने साध’. आ टूंकामां बधुं कहेवाई गयुं. विस्तार करवामां आवे तो अनंत रहस्य नीकळे, कारण के वस्तुमां अनंता भावो भरेला छे. सर्वार्थसिद्धिना देवो तेत्रीस तेत्रीस सागरोपम जेटला काळ सुधी धर्मचर्चा, जिनेंद्रस्तुति इत्यादि कर्या करे छे. ए बधांनो संक्षेप ‘शुभाशुभ भावोथी न्यारा एक ज्ञायकनो आश्रय करवो, ज्ञायकरूप परिणति करवी’ ते छे. ३४५.
पूज्य गुरुदेवे तो आखा भारतना जीवोने जागृत कर्या छे. सेंकडो वर्षोमां जे चोखवट नहोती थई एटली बधी मोक्षमार्गनी चोखवट करी छे. नानां नानां बाळको पण समजी शके एवी भाषामां मोक्षमार्गने खुल्लो कर्यो छे. अद्भुत प्रताप छे. अत्यारे तो लाभ लेवानो काळ छे. ३४६.
मारे कांई जोईतुं नथी, एक शान्ति जोईए छे, क्यांय शान्ति देखाती नथी. विभावमां तो आकुळता ज छे. अशुभथी कंटाळीने शुभमां अने शुभथी थाकीने अशुभमां — एम अनंत अनंत काळ वीती गयो. हवे तो मारे बस एक शाश्वती शान्ति जोईए छे. — आम