Benshreena Vachanamrut-Gujarati (Devanagari transliteration). Bol: 24-27.

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बहेनश्रीनां वचनामृत

आत्मार्थीए स्वाध्याय करवो, विचारमनन करवां; ए ज आत्मार्थीनो खोराक छे. २४.

पहेली भूमिकामां शास्त्रवांचनश्रवणमनन आदि बधुं होय, पण अंदर ते शुभ भावथी संतोषाई न जवुं. आ कार्यनी साथे ज एवी खटक रहेवी जोईए के आ बधुं छे पण मार्ग तो कोई जुदो ज छे. शुभाशुभ भावथी रहित मार्ग अंदर छेए खटक साथे ज रहेवी जोईए. २५.

अंदर आत्मदेव बिराजे छे तेनी संभाळ कर. हवे अंतरमां जा, ने तृप्त था. अनंतगुणस्वरूप आत्माने जो, तेनी संभाळ कर. वीतरागी आनंदथी भरेला स्वभावमां क्रीडा कर, ते आनंदरूप सरोवरमां केली करतेमां रमण कर. २६.

आवा काळे परम पूज्य गुरुदेवश्रीए आत्मा प्राप्त कर्यो तेथी परम पूज्य गुरुदेव एक ‘अचंबो’ छे. आ काळे दुष्करमां दुष्कर प्राप्त कर्युं; पोते अंतरथी मार्ग प्राप्त कर्यो अने बीजाने मार्ग बताव्यो. तेमनो महिमा