Benshreena Vachanamrut-Gujarati (Devanagari transliteration). Bol: 82-83.

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बहेनश्रीनां वचनामृत
२९

मान आदि देखाय तोपण खरेखर आत्मद्रव्य तेनाथी भिन्न छे. वस्तुस्वभावमां मलिनता नथी. परमाणु पलटीने वर्ण-गंध-रस-स्पर्श विनानो न थाय तेम वस्तुस्वभाव बदलातो नथी. आ तो परथी एकत्व तोडवानी वात छे. अंदर वास्तविक प्रवेश कर तो छूटुं पडे. ८१.

हुं तो अरीसानी जेम अत्यंत स्वच्छ छुं; विकल्पनी जाळथी आत्मा मलिन न थाय; हुं तो विकल्पथी जुदो, निर्विकल्प आनंदघन छुं; एवो ने एवो पवित्र छुं.’एम पोताना स्वभावनी जातिने ओळख. विकल्पथी मलिन थईमलिनता मानी भ्रमणामां छेतराई गयो छो; अरीसानी जेम जातिए तो स्वच्छ ज छो. निर्मळताना भंडारने ओळख तो एक पछी एक निर्मळतानी पर्यायनो समूह प्रगटशे. अंदर ज्ञान ने आनंद आदिनी निर्मळता ज भरेली छे. ८२.

अंतरमां आत्मा मंगळस्वरूप छे. आत्मानो आश्रय करवाथी मंगळस्वरूप पर्यायो प्रगटशे. आत्मा ज मंगळ, उत्तम अने नमस्कार करवायोग्य छेएम यथार्थ