Benshreena Vachanamrut-Gujarati (Devanagari transliteration). Bol: 84-86.

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बहेनश्रीनां वचनामृत

प्रतीति कर अने तेनुं ज ध्यान कर तो मंगळता अने उत्तमता प्रगटशे. ८३.

हुं तो उदासीन ज्ञाता छुं’ एवी निवृत्त दशामां ज शान्ति छे. पोते पोताने जाणे अने परनो अकर्ता थाय तो मोक्षमार्गनी धारा प्रगटे अने साधकदशानी शरूआत थाय. ८४.

शुद्ध द्रव्य पर द्रष्टि देतां सम्यग्दर्शन अने सम्यग्ज्ञान प्रगटे. ते न प्रगटे त्यां सुधी अने पछी पण देव-शास्त्र-गुरुनो महिमा, स्वाध्याय आदि साधन होय छे. बाकी, जे जेमां होय तेमांथी ते आवे छे, जे जेमां न होय तेमांथी ते आवतुं नथी. अखंड द्रव्यना आश्रये बधुं प्रगटे. देव-गुरु मार्ग बतावे, पण सम्यग्दर्शन कोई आपी देतुं नथी. ८५.

अरीसामां जेम प्रतिबिंब पडे ते वखते ज तेनी निर्मळता होय छे, तेम विभावपरिणाम वखते ज तारामां निर्मळता भरेली छे. तारी द्रष्टि चैतन्यनी निर्मळताने न जोतां विभावमां तन्मय थई जाय छे, ते तन्मयता छोड. ८६.