Benshreena Vachanamrut-Gujarati (Devanagari transliteration). Bol: 192-193.

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बहेनश्रीनां वचनामृत

कर, पछी भले बधुं ज्ञान थाय. एम करतां करतां अंदर विशेष लीनता थाय, साधक दशा वधती जाय. देशव्रत अने महाव्रत सामान्य स्वरूपना आलंबने आवे छे; मुख्यता निरंतर सामान्य स्वरूपनीद्रव्यनी होय छे. १९१.

आत्मा तो निवृत्तस्वरूपशान्तस्वरूप छे. मुनिराजने तेमांथी बहार आववुं प्रवृत्तिरूप लागे छे. ऊंचामां ऊंचा शुभभाव पण तेमने बोजारूप लागे छे, जाणे के पर्वत उपाडवानो होय. शाश्वत आत्मानी ज उग्र धून लागी छे. आत्माना प्रचुर स्वसंवेदनमांथी बहार आववुं गमतुं नथी. १९२.

सम्यग्द्रष्टि जीव ज्ञायकने ज्ञायक वडे ज पोतामां धारी राखे छे, टकावी राखे छे, स्थिर राखे छेएवी सहज दशा होय छे.

सम्यग्द्रष्टि जीवने तेम ज मुनिने भेदज्ञाननी परिणति तो चालु ज होय छे. सम्यग्द्रष्टि गृहस्थने तेनी दशाना प्रमाणमां उपयोग अंतरमां जाय छे तेम ज बहार आवे छे; मुनिराजने तो उपयोग बहु झडपथी वारंवार अंदर ऊतरी जाय छे. भेदज्ञाननी परिणति