Benshreena Vachanamrut-Gujarati (Devanagari transliteration). Bol: 194-196.

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बहेनश्रीनां वचनामृत
६१

ज्ञाताधाराबंनेने चालु ज होय छे. तेमने भेदज्ञान प्रगट थयुं त्यारथी पुरुषार्थ विनानो कोई काळ होतो नथी. अविरत सम्यग्द्रष्टिने चोथा गुणस्थान प्रमाणे अने मुनिने छठ्ठा-सातमा गुणस्थान अनुसार पुरुषार्थ वर्त्या करे छे. पुरुषार्थ विना कांई परिणति टकती नथी. सहज पण छे, पुरुषार्थ पण छे. १९३.

पूज्य गुरुदेवे मोक्षनो शाश्वत मार्ग अंदरमां देखाड्यो छे, ते मार्गे जा. १९४.

बधाए एक ज करवानुं छेदरेक क्षणे आत्माने ज ऊर्ध्व राखवो, आत्मानी ज प्रमुखता राखवी. जिज्ञासुनी भूमिकामां पण आत्माने ज अधिक राखवानो अभ्यास करवो. १९५.

स्वरूप तो सहज ज छे, सुगम ज छे; अनभ्यासे दुर्गम लागे छे. कोई बीजाना संगे चडी गयो होय तो तेने ते संग छोडवो दुष्कर लागे छे; खरेखर दुष्कर नथी, टेवने लीधे दुष्कर कल्पाय छे. परसंग छोडी पोते स्वतंत्रपणे छूटा रहेवुं तेमां दुष्करता शी? तेम पोतानो स्वभाव पामवो तेमां