Benshreena Vachanamrut-Gujarati (Devanagari transliteration). Bol: 201.

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बहेनश्रीनां वचनामृत

चारित्र ने केवळज्ञानबधुं प्रगट थशे.

नमूनामां पूरा मालनो ख्याल आवे. चंद्रनी बीजनी कळामां आखो चंद्रमा ख्यालमां आवे. गोळनी एक कणीमां आखा रवानो ख्याल आवे. त्यां (द्रष्टांतमां) तो जुदां जुदां द्रव्य ने आ तो एक ज द्रव्य. माटे समकितमां चौद ब्रह्मांडना भावो आवी गया. ए ज मार्गे केवळ. जेम अंश प्रगट्यो तेम ज पूर्णता प्रगटशे. माटे शुद्धनयनी अनुभूति एटले के शुद्ध आत्मानी अनुभूति ते संपूर्ण जिनशासननी अनुभूति छे. २००.

अपरिणामी निज आत्मानो आश्रय लेवानुं कहेवामां आवे छे त्यां अपरिणामी एटले आखो ज्ञायक; शास्त्रमां निश्चयनयना विषयभूत जे अखंड ज्ञायक कह्यो छे ते ज आ ‘अपरिणामी’ निजात्मा.

प्रमाण-अपेक्षाए आत्मद्रव्य मात्र अपरिणामी ज नथी, अपरिणामी तेम ज परिणामी छे. पण अपरिणामी तत्त्व पर द्रष्टि देतां परिणाम गौण थई जाय छे; परिणाम क्यांय चाल्या जता नथी. परिणाम क्यां जता रहे? परिणमन तो पर्यायस्वभावने लीधे थया ज करे छे, सिद्धमां पण परिणति तो होय छे.