एम करतां...करतां...करतां (स्वरूपमां लीनता जामतां... जामतां) क्षपकश्रेणी प्रगटीने पूर्ण थई जाय छे. जे वस्तु छे ते उपर ज तारी द्रष्टिनो दोर बांध, पर्यायना आलंबने कांई न थाय. २०८.
जेम राजा पोताना महेलमां ऊंडो ऊंडो रहे छे तेम चैतन्यराजा ऊंडा ऊंडा चैतन्यना महेलमां ज वसे छे; त्यां जा. २०९.
तुं पोते मार्ग जाणतो नथी ने जाणेलाने साथे राखे नहि, तो तुं एक डगलुं पण कई रीते भरीश? तुं पोते आंधळो, अने जो गुरुवाणीनुं अने श्रुतनुं अवलंबन न राख, तो साधकनो मार्ग जे अंदरमां छे ते तने केम सूझशे? समकित केम थशे? साधकपणुं केम आवशे? केवळ केम प्रगटशे?
अनंत काळनो अजाण्यो मार्ग गुरुवाणी अने आगम वगर जणातो नथी. साचो निर्णय तो पोते ज करवानो छे पण ते गुरुवाणी अने आगमना अवलंबने थाय छे. साचा निर्णय वगर — साचा ज्ञान वगर — साचुं ध्यान थई शकतुं नथी. माटे तुं श्रुतना