१५१
ट्रेक-
१५८ अर्थ करे तो वह नुकसानकारक है।
मुमुक्षुः- वह स्वच्छन्द है। समाधानः- वह स्वच्छन्द है। अपनी मन्दतासे होता है, ऐसी खटक रहनी चाहिये। नहीं तो उसे स्वच्छन्द होगा। उसमें जैसा होना होगा वैसा होगा, तो उसे स्वभाव- ओरकी जिज्ञासा ही नहीं है। ऐसी मुमुक्षुको अंतरमें खटक रहनी चाहिये।
प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो! माताजीनी अमृत वाणीनो जय हो!