Bhinn nahi hai.
१५९ जैसा यह द्रव्य है, वैसी उसकी स्वतंत्रता नहीं है। क्योंकि वह पर्याय द्रव्यके आश्रयसे है। उस पर्यायका वेदन द्रव्यको होता है। इसलिये वह द्रव्यकी ही पर्याय है। वैसी ही स्वतंत्रता उसमें नहीं है। परन्तु उसकी स्वतंत्रता बतायी है। पर्याय भी एक सत है। द्रव्य सत, गुण सत, पर्याय सत। उसका सतपना बताते हैं। परन्तु उसकी स्वतंत्रता, जैसी द्रव्यकी है वैसी स्वतंत्रता (पर्यायकी नहीं है)।
मुमुक्षुः- षटकारकोंकी मर्यादा ही अलग है। वह तो स्पष्ट किये बिना समझ नहीं सकते।
समाधानः- पर्याय भी एक सत है, इसलिये उसके षटकारक भिन्न। परन्तु उसकी अपेक्षा समझनी चाहिये। वह द्रव्यकी पर्याय है। कोई भिन्न द्रव्य नहीं है। नहीं तो पर्यायका द्रव्य हो जाय। पूर्ण नहीं हो जाती, पर्यायमें कुछ न्यूनता रहती है। इसलिये पर्याय भी एक सत है। द्रव्यमें परिणति अभी न्यून है, (तो) पर्याय सत है, ऐसा बताते हैं। इसलिये वह कोई स्वतंत्र द्रव्य नहीं है। पर्याय है वह द्रव्यके आश्रयसे उसकी परिणति है। जैसी द्रव्यकी दृष्टि वैसी पर्याय परिणमती है। पर्याय कहीं और परिणमती है और द्रव्य कहीं और परिणमता है, ऐसा नहीं है। वजन किस पर कितना वजन देना, वह ...
मुमुक्षुः- उसके बदले ऊलटा-सुलटा हो जाता है।
समाधानः- ऊलटा-सुलटा हो जाता है।
मुमुक्षुः- वजन गलत तरीकेसे जाय तो भी व्यर्थ है।
समाधानः- हाँ, व्यर्थ है। वजन कहाँ देना, वह उसे समझना चाहिये न। भूतार्थ और अभूतार्थ। पर्याय अभूतार्थ कहलाती है और कोई अपेक्षासे-पर्याय पर्यायकी अपेक्षासे भूतार्थ कहलाती है। वह भूतार्थ किस प्रकारका? और वह भूतार्थ किस प्रकारका? उसे समझना चाहिये। वैसे यह षटकारक और वह षटकारक, वह किस जातके षटकारक है और यह किस जातके षटकारक, वह समझमें आना चाहिये। पर्याय अभूतार्थ और भूतार्थ। द्रव्यको भूतार्थ कहते हैं, द्रव्यदृष्टिसे। फिर कोई अपेक्षासे-पर्याय पर्याय अपेक्षासे कहलाती है। परन्तु वह दोनों भूतार्थ-भूतार्थ एकसमान नहीं है। वैसे दोनों षटकारक एकसमान (नहीं है)। उसकी अपेक्षा अलग है।
मुमुक्षुः- वैसा ही प्रवचनसार-११४ गाथामें हुआ है कि पर्यायार्थिकनयको सर्वथा बन्द करके, वह चक्षु सर्वथा बन्द करके द्रव्यको देखना। और द्रव्यार्थिकनयके चक्षुको सर्वथा बन्द करके। दोनों जगह सर्वथा शब्दप्रयोग किया है, फिर भी दोनों जगह सर्वथाका वजन एकसमान तो ले नहीं सकते।
समाधानः- नहीं, एकसमान नहीं लिया जाता।
मुमुक्षुः- नहीं तो शब्दप्रप्रोग दोनों जगह एकसमान ही है। प्रवचन पढे तो भी