Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi). Track: 169.

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ट्रेक-१६९ (audio) (View topics)

मुमुक्षुः- ... व्याख्यान करना वह तो हमारा खुराक है। उस वक्त पूज्य गुरुदेव व्याखयान करते हो उस वक्त उनकी परिणति स्वभावकी ओर विशेष झुकती होगी? व्याख्यान तो हमारा खुराक है।

समाधानः- उनको अन्दर जो परिणति अपनी अंतरमें चलती थी, उस अपेक्षासे बात थी। बाहरसे व्याक्यान करे (उससे नहीं), अंतरकी अपनी अनेक जातकी परिणति चले, श्रुतज्ञान आदि अनेक जातकी परिणति चले। स्वभाव दशाकी अनेक जातकी परिणति चले उस अपेक्षासे बात है। स्वाध्याय, ध्यान वह सब हमारा खुराक है। वह तो उन्हें अंतरकी परिणति...

मुमुक्षुः- ध्रुवका जो घोलन चलता हो, उस वक्त परिणति विशेष आत्मामें मग्न होती हो, ऐसा कुछ है?

समाधानः- ऐसा उसका अर्थ नहीं है। प्रवचनके समय विशेष और बादमें कम ऐसा उसका अर्थ नहीं था। वह तो गुरुदेवका स्वाध्याय आदि सब... स्वाध्याय है वही हमारी परिणति है। व्याख्यान करे, स्वाध्याय करे, वांचन करे, वह सब हमारा खुराक है, ऐसे अर्थमें है। अकेला प्रवचन ही, ऐसा उसका अर्थ नहीं है। परिणति जाय, इसलिये व्याख्या खुराक है, ऐसे। व्याख्यान... ओरका विकल्प था। अन्दर घोटन अपना था। प्रभावनाका योग, सबको लाभ मिलनेवाला था, इसलिये उन्हें व्याख्यानका विकल्प था। अंतरमें उन्हें स्वयंकी परिणति चलती थी। व्याख्यान तो निमित्त था।

मुमुक्षुः- निर्मल दशा वह तो आत्माका..

समाधानः- अप्रमत्त दशा यानी अंतरकी स्वानुभूति।

मुमुक्षुः- वह तो आत्माका स्वभाव है न?

समाधानः- आत्माका स्वभाव, आत्माकी अनुभूति। मुनिदशाकी आत्मानुभूति। सम्यग्दर्शनमें अनुभूति होती है, ये मुनिदशाकी विशेष चारित्रदशाकी। ज्ञान, दर्शन, चारित्रकी एकतारूप परिणति हो, वह अप्रमत्त दशा।

मुमुक्षुः- अप्रमत्त दशा है वह तो आत्माका स्वरूप है।

समाधानः- आत्माका स्वरूप जो अनादिअनन्त है वह नहीं, ये प्रगट हुआ स्वरूप