ट्रेक-
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मैं एक, शुद्ध, सदा अरूपी, ज्ञानदृग हूँ यथार्थसे,
कुछ अन्य वो मेरा तनिक परमाणुमात्र नहीं अरे!।।३८।।
कुछ अन्य वो मेरा तनिक परमाणुमात्र नहीं अरे!।।३८।।
मैं शुद्धतासे भरा हुआ सदा अरूपी, ज्ञान-दर्शनसे भरा आत्मा हूँ। एक परमाणुमात्रके साथ भी मेरा सम्बन्ध नहीं है। उससे मैं भिन्न हूँ।
एक ही, गुरुदेवने सब शास्त्रोंका सार, गुरुदेवका कहनेका सार-एक ज्ञायकको भिन्न करना वह है। विकल्प आये वह विकल्प भी अपना स्वभाव नहीं है। निर्विकल्प तत्त्व है। .. भरा, ज्ञान-दर्शनसे भरा (हूँ)। परमाणुमात्रके साथ सम्बन्ध नहीं है।
समता ऊर्ध्वता ज्ञायकता सुखभास,
वेदकता चैतन्यता ए सब जीवविलास।
वेदकता चैतन्यता ए सब जीवविलास।
बस, वह जीवका स्वरूप है। बारंबार-बारंबार वही घोटन करवाया है।
प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो!