मुमुक्षुः- .. हम आये थे, सब पूर्वजन्मकी बातें करते थे। आपको आपके पूर्वजन्मकी अनुभूति हो, ऐसे तो हमें कोई मिले ही नहीं। पाँच मिनिट ज्यादा देकर उस पर कोई प्रकाश कर सको तो.. पूर्व जन्म है, विश्वास है।
समाधानः- पूर्वजन्म तो है। यह जीव कहींसे आता तो है। कोई राजा होता है, कोई रंक होता है, कोई राजाके घर जन्म ले, कोई रंकके घर जन्म ले। उसका कोई कारण है। कुदरत ऐसी कोई अन्यायवाली नहीं होती कि किसीका राजाके घर जन्म हो, कोई रंकके घर, कोई रोगी हो, कोई निरोगी हो, ऐसे सब जो फेरफार होते हैं, उसमें साबित होता है कि यह जीव पूर्वमें था और वहाँसे आया है। इसलिये उसके पूर्वकर्मके फेरफारके कारण यह सब फेरफार हैं।
जीव पूर्वजन्ममें अनेक जातके जन्म-मरण करते-करते आया है। वह तो निश्चय है कि वह जन्म-मरण करते-करते आया है। बाकी व्यक्तिगत बात तो क्या कहनी? पूर्वमें जीव था और वहींसे आया है। पूर्व भवमें अनेक भव करते आया है। देवमें- से आये, मनुष्यमें-से आये, अनेक भवमें-से जीव आता है। जैसे उसके भाव हों, पुण्य-पापके परिणाम करे उस अनुसार आता है।
उसमें अभी यह क्षेत्र तो भरतक्षेत्रमें तो अभी थोडा धर्मका (प्रचार हुआ)। हमारे यहाँ गुरुदेव विराजते थे, उनके प्रतापसे इतना धर्मका प्रचार हो रहा है। उन्होंने सब मार्ग बताया है। बाकी महाविदेह क्षेत्र है वहाँ तो हमेशा धर्म चलता है। वहाँ तो साक्षात भगवान विराजते हैं। इस जगतके ऊपर महाविदेह क्षेत्र है, वहाँ साक्षात भगवान विराजते हैं, उनकी निरंतर वाणी छूटती है। वाणी सुनकर कितने ही जीव सम्यग्दर्शन, स्वानुभूति, कोई मुनिदशाको प्राप्त करते हैं।
साक्षात भगवान। एक महाविदेह क्षेत्र है, वहाँ साक्षात भगवान विराजते हैं। केवलज्ञानपने पूर्ण दशामें विराजते हैं। इस भरतक्षेत्रमें तो बहुत मुश्किल हो गया है। सन्त पुरुषोंकी दुर्लभता (हो गयी)। एक गुरुदेव इस पंचमकालमें विराजते थे, कितनोंको उनके कारण मार्ग मिला।
मुमुक्षुः- आप श्रीमद राजचन्द्र पर कुछ प्रकाश डाल सकते हो? क्योंकि उनको