Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi). Track: 175.

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ट्रेक-१७५ (audio) (View topics)

... गुणमूर्तिना गुणों तणा स्मरणों हृदयमांही रह्या महिमाभर्या गुरुदेवनी महिमा कथन हुँ शुं करुँ? गुणमूर्तिना गुणों तणा स्मरणों हृदयमांही रह्या। ... थया आ स्वर्णगढने धन्य छे, सदगुरुजी आपना ते आपनो पण धन्य छे। ज्यां वास गुरुजी आपना, मन्दिर, मकानो धन्य छे, गुरुजी बिराज्या आप ज्यां ते आसनो पण धन्य छे। चरणसेवा सांपडे ते जीवनने पण धन्य छे, तुज दर्शने पावन बन्या ते लोकने पण धन्य छे। तुज वाणीथी पावन बन्या ते लोकने पण धन्य छे।

समाधानः- ... उसे खटक रहा करे कि ये सब बाहरका तो जूठा ही है। भले अनुकूल संयोग हो और कोई प्रतिकूल, कोई वैराग्यका प्रसंग बने या कोई अच्छे प्रसंग बने तो भी ये कोई आत्माको सुखरूप नहीं है। ये तो कुछ अलग ही है। अन्दर चैतन्य आत्माकी वस्तु, आत्मा कोई अलग ही है। अन्दर खटक लगनी चाहिये। तो अंतरमेंसे उसे दिन और रात उसीके विचार आते रहे, उसीकी लगन लगे कि इसमें सुख नहीं है, ये सुख नहीं है। सुख आत्मामें ही रहा है। आत्मा कोई अनुपम है, जगतसे भिन्न है, वह आत्मा कैसे प्रगट हो?

मुमुक्षुः- मुझे क्या लगता है कि आत्म साक्षात्कार या आप जो भी कहो, उसमें ऐसी क्या वस्तु है कि जिसके लिये सब प्रवृत्त हो? उसकी कोई झलक न हो और अपने यह कहे कि ये सब असार है, असार है। शास्त्रोंमें या सबने कहा है, उसका मानकर। इसलिये किसी भी प्रकारकी, जो आप कहते हो कि लगन है या यह-वह, एक बार हमें मालूम पडा कि यह हीरा है। तो हमारे हाथमें रहे पत्थर अपनेआप छूट जाय। कोई छोडना नहीं पडे। उसी प्रकार आत्म साक्षात्कार क्या है? उससे क्या मिलता है? वह कैसे? बातें सुनी हैं, कुछ भी अनुभूति न हो तो कैसे मने उसमें प्रवृत्त हो? एक बार यदि उसकी झलक हो जाय तो अपनेआप... उसमें किसीको