Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi).

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अमृत वाणी (भाग-४)

२७२ सादा कमल होता है वैसा होता है?

समाधानः- भगवान विराजे ऐसा बडा कमल होता है। सहस्त्रदल कमल। भगवानके पास सब रत्नका ही होता है। दिखे सच्चा, लेकिन होता है सब रत्नका भगवानके पास। सिंहासन, कमल आदि सब अतंरीक्ष, भगवान उससे ऊपर (रहकर) उसे स्पर्श भी नहीं करते, उस प्रकार निराधार रहते हैं। परन्तु कमलासन हो वैसे भगवान सिंहासन पर विराजते हैं।

मुमुक्षुः- और ॐ ध्वनि जो छूटती है, वह तो मुझे ऐसा लगता है कि ये तो बन्द होता है, परन्तु अन्दरसे...

समाधानः- होंठ हिलकर जो शब्द निकले ऐसे नहीं, ॐ ध्वनि निकलती है।

मुमुक्षुः- होंठ नहीं हिलते?

समाधानः- होंठ नहीं हिलते।

मुमुक्षुः- और नेत्र?

समाधानः- नेत्र नासाग्र (होते हैं), बन्द नहीं। जैसे प्रतिमाजीके नेत्र हैं, वैसे भगवानके नेत्र होते हैं।

मुमुक्षुः- आसपास कुछ नहीं, भगवान एक ही। और चारों ओर, यहाँ जो समवसरणकी रचना की है वैसा?

समाधानः- चारों ओर समवसरणकी रचना है। बीचमें भगवान विराजते हैं, पीठिका पर। भगवान कमलमें। ऐसे।

मुमुक्षुः- ऐसे अनेक समवसरण हैं या एक ही है? समाधानः- सीमंधर भगवान महाविदेह क्षेत्र विराजते हैं, ऐसे बीस भगवान विराजते हैं। मुमुक्षुः- वह सब महाविदेह क्षेत्रमें या..? समाधानः- नहीं, ऐसे पाँच महाविदेह क्षेत्र हैं। पाँच महाविदेह क्षेत्रमें भिन्न-भिन्न खण्ड हैं। उसमें पुष्कलावती विजयमें सीमंधर भगवान विराजते हैं। और दूसरे-दूसरे क्षेत्रमें अन्य-अन्य विजय है, उसमें ऐसे बीस विजयमें, यहाँ जैसे भरतखण्ड है, वैसे वहाँ उसे विजय कहते हैं, ऐसे खण्ड हैं, उसके अन्दर ऐसे बीस खण्डके अन्दर बीस भगवान विराजते हैं। ऐसे पाँच महाविदेह क्षेत्र हैं। साक्षात भगवान विराजते हैं, महाविदेह क्षेत्रमें।

प्रशममूर्ति भगवती मातनो जय हो!