Benshreeni Amrut Vani Part 2 Transcripts (Hindi). Track: 176.

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ट्रेक-१७६ (audio) (View topics)

मुमुक्षुः- बहिन! हम जैसे बालोंकी माँग निकालते हैं, वैसे आप जड और चेतनको बराबर लाईनसे देख सकते हो? शरीर और आत्माको ऐसे ही (देखते हो)? आपने जो भेदज्ञान और खटका कहा न, उसकी बहुत खटक लग गयी। इसलिये वह बात मैं आपको फिरसे पूछती हूँ। जैसे हम बाल बनाते हैं तो हमारी माँग दिखती है, वैसे?

समाधानः- हाँ, वैसे ही भिन्न दिखता है। जैसे यह मकान भिन्न और यह भिन्न है, वैसे ही भिन्न दिखता है।

मुमुक्षुः- आपको इतना सब दिखता है, तो आपके पास आनेवालोंमें उनके ओरा परसे आपको जरूर ख्यालमें आता होगा कि कौन-सी व्यक्ति किस जिज्ञासासे आती है? अथवा तो ऐसे ही आती है? अथवा उसका क्या है? वह तो आपको ख्यालमें आता होगा।

समाधानः- उसकी जिज्ञासा कैसी है उसका तो ख्याल आ जाय। लेकिन उसके जीवनके साथ क्या प्रयोजन है।

मुमुक्षुः- नहीं, हमें प्रयोजन नहीं है, लेकिन आपको ख्यालमें आ जाय कि ये क्या है?

मुमुक्षुः- वह तो आपको आत्माकी दृष्टिसे ही देखेंगे। आप किसी भी...

मुमुक्षुः- ऐसा नहीं कहती हूँ, मैंने जो कहा वह समझ गये हैं।

समाधानः- पूर्व भवका आप कहते हो तो..

मुमुक्षुः- नहीं, मैं ऐसा नहीं कहती हूँ। हम आपके पास आये तब ओरा कहते हैं न, जो आपको दिखाई दे कि इस व्यक्तिकी चेतना, इस व्यक्तिका आत्मा क्या है?

समाधानः- इतना ख्याल आये कि आपकी दृष्टि कहाँ है, वह तो ख्यालमें आ जाता है कि आप किसी दृष्टिमें हो।

मुमुक्षुः- तो हमें आप थोडा ईशारा दीजिये।

समाधानः- आगे अभी बहुत बढना बाकी है। अभी तो बहुत समझना बाकी है। समझना बाकी है। पूर्वभवकी जो बातें हैं, व्यक्तिगत तो (कुछ कहती नहीं हूँ),