જેમ અમે માથામાં પેથી પાડિયે અને બે ભાગ જુદા દેખાય તેમ શું આપને શરીર અને આત્મા જુદા દેખાય છે?..... 0 Play जेम अमे माथामां पेथी पाडिये अने बे भाग जुदा देखाय तेम शुं आपने शरीर अने आत्मा जुदा देखाय छे?..... 0 Play
આપના પાસે આવનાર વ્યકિત કઈ જિજ્ઞાસાથી આવે છે તેનો ખ્યાલ આપને આવતો હશે? 0:40 Play आपना पासे आवनार व्यकित कई जिज्ञासाथी आवे छे तेनो ख्याल आपने आवतो हशे? 0:40 Play
.....તમે અમને આશીર્વાદ આપો 2:35 Play .....तमे अमने आशीर्वाद आपो 2:35 Play
જનરલ ચર્ચા ... આત્માની પાછળ લાગવું જોઈએ. 3:25 Play जनरल चर्चा ... आत्मानी पाछळ लागवुं जोईए. 3:25 Play
વિભાવની રુચિમાં દુઃખ નથી લાગતું. 5:50 Play विभावनी रुचिमां दुःख नथी लागतुं. 5:50 Play
પંડિતજી શ્રી હિંમતભાઈ માટે...... 7:15 Play पंडितजी श्री हिंमतभाई माटे...... 7:15 Play
અનુભવ કેવી રીતે થાય? 8:30 Play अनुभव केवी रीते थाय? 8:30 Play
અનુભૂતિસે જાતિસ્મરણજ્ઞાન હોતા હૈ? 9:30 Play अनुभूतिसे जातिस्मरणज्ञान होता है? 9:30 Play
....જ્યાં જઈએ ત્યાં બધા ધર્મનું સાચું લાગે છે ત્યાં કરવું શું? (પ્રશ્નનો સાર) 10:15 Play ....ज्यां जईए त्यां बधा धर्मनुं साचुं लागे छे त्यां करवुं शुं? (प्रश्ननो सार) 10:15 Play
પૂજ્ય ગુરુદેવશ્રીની વાત સાચી લાગે છતાં....... 13:25 Play पूज्य गुरुदेवश्रीनी वात साची लागे छतां....... 13:25 Play
પૂજ્ય ગુરુદેવશ્રીનું સ્વાસ્થ્ય આપણા કરતાં સારું હતું, તેથી એમ થતું પછી કરીશું, તેમ કરતા અમે રહી ગયા 15:10 Play पूज्य गुरुदेवश्रीनुं स्वास्थ्य आपणा करतां सारुं हतुं, तेथी एम थतुं पछी करीशुं, तेम करता अमे रही गया 15:10 Play
સંસ્કારની વાત બહુ આવી તો સંસ્કાર કેવી રીતે પાડવાના? 15:35 Play संस्कारनी वात बहु आवी तो संस्कार केवी रीते पाडवाना? 15:35 Play
પૂજ્ય ગુરુદેવશ્રીએ કહ્યું તે જ વાંચીએ છીએ, તે જ બધું કરીએ છીએ પણ ...... 16:50 Play पूज्य गुरुदेवश्रीए कह्युं ते ज वांचीए छीए, ते ज बधुं करीए छीए पण ...... 16:50 Play
मुमुक्षुः- बहिन! हम जैसे बालोंकी माँग निकालते हैं, वैसे आप जड और चेतनकोबराबर लाईनसे देख सकते हो? शरीर और आत्माको ऐसे ही (देखते हो)? आपने जो भेदज्ञान और खटका कहा न, उसकी बहुत खटक लग गयी। इसलिये वह बात मैं आपको फिरसे पूछती हूँ। जैसे हम बाल बनाते हैं तो हमारी माँग दिखती है, वैसे?
समाधानः- हाँ, वैसे ही भिन्न दिखता है। जैसे यह मकान भिन्न और यह भिन्नहै, वैसे ही भिन्न दिखता है।
मुमुक्षुः- आपको इतना सब दिखता है, तो आपके पास आनेवालोंमें उनके ओरापरसे आपको जरूर ख्यालमें आता होगा कि कौन-सी व्यक्ति किस जिज्ञासासे आती है? अथवा तो ऐसे ही आती है? अथवा उसका क्या है? वह तो आपको ख्यालमें आता होगा।
समाधानः- उसकी जिज्ञासा कैसी है उसका तो ख्याल आ जाय। लेकिन उसकेजीवनके साथ क्या प्रयोजन है।
मुमुक्षुः- नहीं, हमें प्रयोजन नहीं है, लेकिन आपको ख्यालमें आ जाय कि येक्या है?
मुमुक्षुः- वह तो आपको आत्माकी दृष्टिसे ही देखेंगे। आप किसी भी...
मुमुक्षुः- ऐसा नहीं कहती हूँ, मैंने जो कहा वह समझ गये हैं।
समाधानः- पूर्व भवका आप कहते हो तो..
मुमुक्षुः- नहीं, मैं ऐसा नहीं कहती हूँ। हम आपके पास आये तब ओरा कहते हैं न, जो आपको दिखाई दे कि इस व्यक्तिकी चेतना, इस व्यक्तिका आत्मा क्या है?
समाधानः- इतना ख्याल आये कि आपकी दृष्टि कहाँ है, वह तो ख्यालमें आजाता है कि आप किसी दृष्टिमें हो।
मुमुक्षुः- तो हमें आप थोडा ईशारा दीजिये।
समाधानः- आगे अभी बहुत बढना बाकी है। अभी तो बहुत समझना बाकी है। समझना बाकी है। पूर्वभवकी जो बातें हैं, व्यक्तिगत तो (कुछ कहती नहीं हूँ),